tag:blogger.com,1999:blog-32440081.post7563121129444510593..comments2023-10-29T20:17:45.535+11:00Comments on दिल के दरमियाँ - डॉ० भावना कुँअर: हिन्दी दैनिक-"विधान केसरी" में मेरी एक रचना Dr.Bhawna Kunwarhttp://www.blogger.com/profile/11668381875123135901noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-32440081.post-65222178325685248672014-01-07T21:52:08.830+11:002014-01-07T21:52:08.830+11:00वाह...बहुत बढ़िया प्रस्तुति...आप को मेरी ओर से नववर...वाह...बहुत बढ़िया प्रस्तुति...आप को मेरी ओर से नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं...<br /><br />नयी पोस्ट<a href="http://pbchaturvedi.blogspot.in/" rel="nofollow">@एक प्यार भरा नग़मा:-कुछ हमसे सुनो कुछ हमसे कहो</a>प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' https://www.blogger.com/profile/03784076664306549913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-32440081.post-30802229913546131302013-12-09T22:36:14.869+11:002013-12-09T22:36:14.869+11:00बहुत भावपूर्ण..बधाई.बहुत भावपूर्ण..बधाई.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-32440081.post-3584237472923299392013-12-09T19:18:21.618+11:002013-12-09T19:18:21.618+11:00सहृदय और सच्चा व्यक्ति सदा दूसरों के दु:ख से दुखी ...सहृदय और सच्चा व्यक्ति सदा दूसरों के दु:ख से दुखी होता है । हृदय की यह उदात्तता उसे और लोगों से अलग करती है। इसीलिए तुलसी ने कहा है परहित सरिस धर्न नहीं भाई । परपीड़ा सम नहीं अधमाई । भावना जी का प्राणिमात्र से प्रेम उनको और उनकी कविता को ऊंचाई प्रदान करते हैं।सहज साहित्यhttps://www.blogger.com/profile/09750848593343499254noreply@blogger.com