28 मई 2012


बहुत दिनों बाद ब्लॉग पर वापसी हुई कारण इंडिया जाना बहुत सारी यादों को समेटकर वापस सिडनी में वही सब रूटीन वर्क, पर इस बार एक बात बहुत अच्छी रही कुछ महत्वपूर्ण लोगों से मिलना। मेरठ में डॉ० सुधा गुप्ता जी से मैं भरपूर स्नेह बटोर कर लाई वास्तव में सुधा जी बहुत मिलनसार और कोमल ह्रदय महिला हैं। दिल्ली में रामेश्वर काम्बोज हिमांशु जी  से मिलना हुआ उनका पूरा ही परिवार बहुत अपनेपन से मिला बिल्कुल नहीं लगा कि हम पहली बार मिल रहे हैं। मैं, प्रगीत, ऐश्वर्या बस इन्हीं यादों को कैमरे में कैद कर वापस आ गए और अब बस फिर इन्तज़ार अगले साल का.... एक और बड़ी उपलब्धि हुई मेरी हाइकु पर दूसरी पुस्तक का आना पुस्तक का नाम है "धूप के खरगोश" यहाँ आप सब लोगों का स्नेह भी चाहिए तो बस देर मत कीजिए दो पंक्ति तो लिख ही डालिए अपनी इस पुरानी ब्लॉगर के लिए...

डॉ० सुधा गु्प्ता जी और मैं (31.03.2012)
प्रगीत,मैं,ऐश्वर्या,श्रीमती काम्बोज और श्री रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' जी
(27.04.2012)

मेरा नया हाइकु संग्रह 26.04.2012


























































वर्षा जो आई
धूप के खरगोश
दूर जा छिपे।


ये हाइकु मेरा सबसे प्रिय हाइकु है जिसके कारण मैंने अपनी पुस्तक का नाम "धूप के खरगोश" रखा। बाकी अगली पोस्ट में...



Bhawna