31 दिसंबर 2007

बस कुछ पल और थोड‌़ा सा इन्तज़ार... फिर खिलेंगे फूल ....महकेगी बगिया...

नव-वर्ष पर आप सभी मित्रों को हार्दिक शुभकामनाएँ-भावना,प्रगीत,कनुप्रिया,ऐश्वर्या की ओर से





पुराने
दिन
थे घमंड से चूर
लो बीत चले।


लो बीत चला
एक और सफ़र
नयी तलाश।


डाकिया लाया
खुशियों की चिट्ठियॉ
नये साल में.।


नये साल की
बगिया में खिलेंगे
सुखों के फूल ।


लो चल पड़े
नया साल खोजने
बर्फीले दिन।


आतंकित सा
पग-पग बढाये
ये वर्ष आये।

उज़ाड‌े घर
काहे का नया साल
आतंकियों ने।

आओ लें प्रण
न हो कोई गुनाह
इस वर्ष में।

डॉ० भावना

28 दिसंबर 2007

कुछ ऐसे चित्र जो नहीं मानते रंग भेद या जाति भेद, जानते हैं बस प्यार....

जाति रंग का भेद न हो
रचें आज ऐसा संसार
होली,ईद या हो क्रिसमस
मिलकर मनाये सारे त्यौहार...


मेरी बेटी अपने अफ्रीकन मित्रों के साथ


डॉ॰ भावना

27 दिसंबर 2007

कैसे बीता गाजियाबाद में ४ दिसम्बर का दिन चलिये देखते हैं

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गाज़ियाबाद
में ४ दिसम्बर का दिन ओमप्रकाश चतुर्वेदी पराग जी, बी० एल गौड़ जी, कमलेश भट्ट जी और व्योम जी के साथ हाइकु दिवस में मेरी पुस्तक "तारों की चूनर" के विमोचन के कुछ चित्र और खबरें... डॉ० व्योम जी के सहयोग से..

मित्रों की ख्वाहिश पर पुस्तक के कुछ अंश जल्दी ही पोस्ट करूँगी...


प्रवासी भारतीय हाइकुकार डा० भावना कुँअर (युगांडा) के हाइकु संग्रह तारों की चूनर का लोकार्पण करते हुए मुख्य अतिथि डा० जगदीश व्योम, अध्यक्ष ओमप्रकाश चतुर्वेदी पराग, विशिष्ट अतिथि बी०एल० गौड़ एवं संयोजक कमलेश भट्ट कमल



डॉ० भावना

6 दिसंबर 2007

छिड़ा जो युद्घ, रोएगी मानवता, हंसेंगे गिद्घ

Dec 05, 10:46 pm

गाजियाबाद, जागरण संवाद केंद्र

प्रसिद्घ साहित्यकार स्व. सत्यभूषण शर्मा के पचहत्तरवें जन्म दिवस पर हाइकू कवि गोष्ठी का आयोजन कविनगर में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता ओमप्रकाश चतुर्वेदी ने की। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि डा. जगदीश व्योम व विशिष्ट अतिथि बी.एल. गौड़ रहे। इस अवसर पर डा. अंजलि देवधर द्वारा लिखित पुस्तक हाइकू प्रवेशिका (विश्व के बच्चों की हाइकू) व डा. भावना कुंवर की हाइकू संग्रह तारों की चूनर का विमोचन किया।

कार्यक्रम की शुरूआत मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण तथा दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। सरस्वती वंदना अनुराधा भट्ट ने की। मुख्य अतिथि डा. जगदीश व्योम ने कहा कि स्व. सत्यभूषण शर्मा को भारत में हाइकू काव्य विधा के जनक हैं। उन्होंने बताया कि सत्रह अक्षरों में ही हाइकू में कविता निहित होती है। उन्होंने कहाकि आज के दौर में नेट पर विश्व में सबसे ज्यादा हिंदी भाषा पसंद की जा रही है। उन्होंने अपनी हाइकू 'छिड़ा जो युद्घ, रोएगी मानवता, हंसेंगे गिद्घ' के माध्यम से वाहवाही लूटी। गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे ओमप्रकाश चतुर्वेदी ने कहाकि हाइकू को जापानी भाषा में सेन्ड्रयू कहा जाता है। उन्होंने बताया कि जापान के कवि वासो ने भी हाइको एक विराट पूर्णता माना है। उन्होंने अपनी हाइकू 'बोये तुमने, काटने पड़े हमें पीड़ा के खेत' व 'पता न था, अंजाना सफर, कभी अंधा भी होगा' भी सुनाई। संगोष्ठी में मौजूद कवियों ने हाइकू के माध्यम से झकझोरा। व्यापार कर अधिकारी राजनाथ तिवारी ने सुख और दुख पर अपनी हाइकू 'पागल सुख, देता है, एक दिन दारुण दुख' कही तो लोग ताली बजाने लगे। डा. मधु भारती ने अंग्रेजी पर व्यंग्य कसते हुए कहा, देश प्रेमी वे, आंग्ल भाषा में हंसे, हिंदी में रोएं। अंजू जैन ने अपनी हाइकू 'खामोशी सदा हारती नहीं जीतती भी है।' सुनाई। संगोष्ठी के समापन पर संचालक कमलेश भट्ट ने अतिथियों को धन्यवाद दिया। महादेव प्रसाद, जितेंद्र साहू, नेहा बैद, विशारद भट्ट, कुसुम भट्ट, सुमन तिवारी, प्रत्युष यादव की गोष्ठी मौजूदगी उल्लेखनीय रही।

5 दिसंबर 2007

आप सबके स्नेह की आभारी

हाइकु दिवस के पावन अवसर पर आप सबको हार्दिक बधाई

आज मैं खुद को बहुत भाग्यशाली मान रही हूँ कि इस इस शुभ अवसर पर मेरी पुस्तक "तारों की चूनर" (हाइकु संग्रह) का विमोचन भारत में किया गया जिसमें प्रसिद्ध हाइकुकार डॉ० जगदीश व्योम जी और पूर्णिमा जी का पूर्ण सहयोग मिला मैं उनकी तहे दिल से आभारी हूँइससे सम्बन्धित जानकारी आप यहाँ चित्र सहित देख सकते हैं...

डॉ० भावना कुँअर