30 दिसंबर 2014

शुभकामनाएँ










सभी मित्रों को मेरी ओर से नववर्ष की शुभकामनाएँ-

दुआ करती
न रहे तन्हाँ कोई
नववर्ष में।


Bhawna

11 जुलाई 2014

मधुर मिलन



समय द्वैमासिक के जुलाई अगस्त  2014 के विशेषांक के साथ कई महीनों के बाद फिर अपने ब्लॉग पर लौटना !कुछ अनुभूतियाँ  !!
 डॉ० भावना कुँअर


15 मार्च 2014

कुछ पुरानी यादें ....

होली खेले तो बरसों हो गये पर कुछ पुरानी यादें हैं जो आज मन कर आया कि आप सबके साथ ताजा कर ली जायें,एक जमाना था जब रंग कुछ उन्माद सा भर देते थे, पर अब ना तो वैसा माहौल ही रहा ना  वो खुशबू देने वाले साफ-सुथरे रंग, ऊपर से अपनी मिट्टी से दूरी भी होली ना खेलने का एक बड़ा कारण बनी, हाँ लेखन जरूर चलता रहा।
आप सभी को हमारे पूरे कुँअर परिवार की ओर से होली की हार्दिक बधाई,खेलिएगा जरूर अगर होली खेलना पसन्द है तो पर ध्यान भी रखियेगा कि ये त्यौहार स्नेह मिलन का त्यौहार है-

कपोलों पर
खिलते थे कभी यूँ
कई रंग हमारे
आज जीते हैं
एहसासों में छिपे
परछाईं से कहीं।






























































Bhawna

26 जनवरी 2014

फूलों जैसा मेरा देश,वतन से दूर


गणतंत्र दिवस की शुभकामनाओं के साथ अपनी दो पुरानी रचनायें आप लोगों के साथ शेयर करना चाहूँगी...












फूलों जैसा मेरा देश

फूलों जैसा मेरा देश मुरझाने लगा
शत्रुओं के पंजों में जकडा जाने लगा
रात-दिन मेरी आँखों में एक ही ख्वाब
कैसे हो मेरा 'प्यारा देश' आजाद
कैसे छुडाऊँ इन जंजीरों की पकड से इसको
कैसे लौटाऊँ वापस वही मुस्कान इसको
कैसे रोकूँ आँसुओं के सैलाब को इसके
कैसे खोलूँ आजादी के द्वार को इसके
कैसे करूँ कम आत्मा की तड़प रूह की बेचैनी को
चढ़ जाऊँ फाँसी मगर दिलाऊँगा आजादी इसको
ये जन्म कम है तो, अगले जन्म में आऊँगा
पर देश को मुक्ति जरूर दिलाऊँगा। 
जो सोचा था कर दिखलाया
भले ही उसको फाँसीं चढ़वाया
शहीद भगत सिंह नाम कमाया
आज भी सब के दिल में समाया।


वतन से दूर

वतन से दूर हूँ लेकिन
अभी धड़कन वहीं बसती
वो जो तस्वीर है मन में
निगाहों से नहीं हटती।


बसी है अब भी साँसों में
वो सौंधी गंध धरती की
मैं जन्मूँ सिर्फ भारत में
दुआ रब से यही करती।


बड़े ही वीर थे वो जन
जिन्होंने झूल फाँसी पर
दिला दी हमको आजादी।
नमन शत-शत उन्हें करती।

Bhawna

13 जनवरी 2014

सभी को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ ...

साहित्य अकादमी की पत्रिका हरिगन्धा मासिक अक्तुबर –नवम्बर 2013 में मेरे कुछ हाइकु प्रकाशित...











































Bhawna