नर व नारी
मनायें जन्मदिन
धूम-धाम से।
मटकी फोडें
गोविन्दा जब आये
माखन खायें।
मन्दिर सजें
फूलों से, गहनों से
कन्हैया हँसें।
आयी बहार
मथुरा नगरी में
बरसा प्यार।
फूलों की माला
पहने नन्दलाला
संग हैं बाला।
सजी द्वारका
दुल्हन से रंग में
कृष्णा हैं आयें।
डॉ॰ भावना
3 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर हाईकु.
आपको एवं आपके परिवार को भी जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें एवं बधाई.
क्या कहूँ? गागर में सागर? या "देखन में छोटो लगे, घाव करे गम्भीर?
भक्तिरस में रची हाईकू रचना.. सुंदर पंक्तियां. बधाई
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