मेरी माँ के जन्मदिन पर उनको मेरे मन की भावनायें…
जन्म दिन मुबारक हो माँ !
लो माँ… एक साल और बीत गया
ना हो पाया
इस साल भी
हमारा मिलन,
सोचा था…
इस जन्म दिन पर
मैं तुम्हारे साथ रहूँगी,
पर मेरी विवशता देखो,
नहीं आ पाई इस साल भी,
क्योंकि…
मैं निभा रही हूँ
उन कसमों को, उन वादों को
जो तुमने मुझे निभाने को कहा था…
परिवार के उन दायित्वों को
जो तुमने मुझे सिखाया था…
जब मैं विदा हो चली थी
उस घर से इस घर के लिये
पर माँ !
मैं माँ और पत्नी के साथ-2
इक बेटी भी हूँ ना…
मुझे भी तुम्हारी याद आती है
तुम्हारी वो सुकून भरी गोद
जब मैं टूटती या बिखरती हूँ
पर, फिर लग जाती हूँ
निभाने दायित्वों को
तुम्हारी ही दी हुई
शिक्षा को
तुम भी तो मुझे याद करती होगी माँ !
पर
तुम भी तो घिरी हो
दायित्वों के घेरे में,
पर, तुम कभी नहीं थकती।
लेकिन, मैं देख पाती हूँ
वो मायूसी
जो मेरे दूर रहने से छा जाती है
तुम्हारी आँखों में
पर, माँ ! तुम उदास मत होना
शायद अगले साल
तुम्हारे जन्मदिन पर मैं
तुम्हारे पास होऊँ
इसी इन्तजार में…
आज से ही गिनती हूँ दिन…
३६५ हाँ पूरे ३६५ दिन…
फिर मिलकर काटेगें केक
मैं खिलाऊँगी केक का टुकडा तुम्हें
जो अपनी देश की धरती से दूर रहकर
नहीं खिला पायी
और तुमने भी तो..
मेरे ही कारण
केक बनाना ही छोड़ दिया
और छोड़ दिया जन्म दिन मनाना भी
माँ ! अगले साल मनाएँगे जन्म दिन
सजायेंगे महफिल
और तुम
केक बनाकार रखना
और फिर
मेरा इन्तजार करना...
मेरा इन्तजार करना...
17 टिप्पणियां:
भावना जी:
माँ से दूर प्रवासी पुत्री की व्यथा को बहुत मर्मस्पर्शी रूप में अभिव्यक्त किया है आप नें ।
अपनी माँ को हमारी ओर से भी शुभकामनाएं पहुँचायें।
धन्यवाद अनूप जी ...
अभी फोन किया था वो बहुत खुश हुई और उन्होंने आपका शुक्रिया अदा किया है..
जानते हैं दूर हैं हम, सिर्फ़ कहने के लिये ही
नींद में भी, जाग में भी हर घड़ी तुम साथ मेरे
एक छवि जो दीप बन कर ज़िन्दगी को ज्योति देती
है तुम्हारी, पंथ में घिरने न देती जो अँधेरे
हमारी शुभकामनायें
मेरा कातिल तो मुरव्वत नहीं करने वाला
मैं भी इस खौफ से हिजरत नहीं करने वाला
मां की ममता का मेरे सर पे है साया सागर
मैं कहां तीर से, तलवार से डरने वाला।
बधाई हो भावना जी मां को समर्पित कविता बहुत अच्छी लगी।
माता जी को उनके जन्म दिवस पर हमारी शुभकामनायें भी पहुँचाये.
बहुत मर्मस्पर्शी रचना, बधाई.
माँ को कविता के रूप में बहुत खूबसूरत तोहफ़ा दिया है आपने हमारी और से भी उन्हे जन्म दिवस की शुभ कामनायें अवश्य दिजियेगा...
सुनीता(शानू)
भावना जी बहुत ही अच्छी भेंट। मर्मस्पशी रचना
भावना जी बहुत ही अच्छी भेंट। मर्मस्पशी रचना
मां जी को हमारी ओर से शुभकामनायें।
राकेश जी, रियाज जी, समीर जी, सुनीता जी, नीशू जी, उन्मुक्त जी आप सबका मेरी ओर से और मेरी माताजी की ओर से बहुत-बहुत धन्यवाद...
हमारी दुआ है कि अपना अगला जन्मदिन आप अपनी मां के साथ अपने वतन में जरूर मनायें। फिलहाल हमारी तरफ से भी मां को शुभकामनायें।
रवीन्द्र जी बहुत-बहुत शुक्रिया अच्छा हो अगर आपकी दुआ पूरी हो जाये...
भावना बहन;
माँ से कहाँ नहीं मिल पाती हैं आप ? आप माँ का प्रतिबिंब हैं...माँ का अंश हैं ....आप ही तो उनका स्पंदन हैं...आपकी साँस साँस में थिरक ही तो रहीं हैं माँ...आपकी वाणी आपके शब्द उन्हीं की तो अमानत हैं...माँ वहीं कहीं हैं ...आपमें....आपके वजूद में ...आपकी सोच में ....आपके विचार में ...आपके आचरण में...हम सब के होने की वजह ही तो हैं माँ.
बहुत मार्मिक कविता है डॉ भावना यह.
-- शास्त्री जे सी फिलिप
प्रोत्साहन की जरूरत हरेक् को होती है. ऐसा कोई आभूषण
नहीं है जिसे चमकाने पर शोभा न बढे. चिट्ठाकार भी
ऐसे ही है. आपका एक वाक्य, एक टिप्पणी, एक छोटा
सा प्रोत्साहन, उसके चिट्ठाजीवन की एक बहुत बडी कडी
बन सकती है.
आप ने आज कम से कम दस हिन्दी चिट्ठाकरों को
प्रोत्साहित किया क्या ? यदि नहीं तो क्यो नहीं ??
शास्त्री बहुत-बहुत धन्यवाद, ये मेरे मन के उदगार हैं जो अपनी ममा से दूर रहकर उभरते रहते हैं क्या करें ये दूरियाँ हैं ही ऐसी...
मर्मस्पर्शी रचना है...पढ़कर सिहर उठा.
धन्यवाद विकास जी मेरे भावों को समझने के लिये...
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