कल मेरा जन्मदिन है और मैं यहाँ (आस्ट्रेलिया-पर्थ) में अकेली हूँ बच्चे और प्रगीत आस्ट्रेलिया-सिडनी में हैं,सबको बहुत मिस कर रही हूँ, पहली बार ऐसा हुआ है कि मैं मम्मा,पापा यहाँ तक कि बच्चों,प्रगीत सभी से दूर हूँ, पर किया जाये जब काम करना है तो करना ही है उसमें ये सब दूरियाँ तो सहनी ही होंगी,ऐसे वक्त में बस यही कह सकती हूँ
आज मन
कुछ अनमना सा है...
सब कुछ होते हुए भी
कुछ कमी सी ...
मिल रहा है
मेरे सपनों कों
एक साकार रूप ...
जिन सपनों को
टूटते, बिखरते से
बचाया था मैंने
फिर दिया ...
एक मुकम्मल मुकाम
तो फिर आज ...
ये उदासी मुझे
क्यूँ बींध रही है?
क्यूँ आज इन ओठों से
हँसी की जगमगाहट
धुँधली पड़ गई है?
क्यूँ दिल की धड़कन में
हलचल नहीं है?
और क्यूँ
मेरी इन आँखों में...
ठहरी हुई
ये नमी सी है?
हाँ जानती हूँ मैं
मेरी साँसों को
प्रवाह देने वाले
मेरे जीवन साथी
वो तुम ही हो ...
जिसकी
हर पल, हर लम्हा
इन धड़कनों में
कमी सी है ...
आज मन
कुछ अनमना सा है...
सब कुछ होते हुए भी
कुछ कमी सी ...
मिल रहा है
मेरे सपनों कों
एक साकार रूप ...
जिन सपनों को
टूटते, बिखरते से
बचाया था मैंने
फिर दिया ...
एक मुकम्मल मुकाम
तो फिर आज ...
ये उदासी मुझे
क्यूँ बींध रही है?
क्यूँ आज इन ओठों से
हँसी की जगमगाहट
धुँधली पड़ गई है?
क्यूँ दिल की धड़कन में
हलचल नहीं है?
और क्यूँ
मेरी इन आँखों में...
ठहरी हुई
ये नमी सी है?
हाँ जानती हूँ मैं
मेरी साँसों को
प्रवाह देने वाले
मेरे जीवन साथी
वो तुम ही हो ...
जिसकी
हर पल, हर लम्हा
इन धड़कनों में
कमी सी है ...
भावना कुँअर
26 टिप्पणियां:
आज मन
कुछ अनमना सा है
सब कुछ होते हुए भी
कुछ कमी सी है
मिल रहा है
मेरे सपनों को
एक साकार रूप
जिन सपनों को
टूटते, बिखरते से
बचाया था मैंने
फिर दिया
इन पंक्तियों ने दिल छू लिया... बहुत सुंदर ....रचना....
बहुत भावभीनी रचना.
काम करना है करना है..सो तो है!
जन्मदिवस की अग्रिम बधाई एवं शुभकामनाएँ.
अपनो से दूरी का ये प्रभाव तों हुआ कि आपने इतनी सुंदर रचना रच ली .. अग्रिम में ही जन्मदिन की असीम शुभकामनाएं !!
इस ब्लॉग जगत के माध्यम से बहुत सारे लोग आपके साथ है..जन्मदिन की शुभकामनायें
मेरे जीवन साथी
वो तुम ही हो ...
जिसकी
हर पल, हर लम्हा
इन धड़कनों में
कमी सी है ...
सुन्दर भावनाओ से ओतप्रोत रचना
जन्मदिन की शुभकामनाएँ
संजय जी बहुत-बहुत धन्यवाद..
समीर जी आभारी हूँ...
संगीता जी बहुत सही बात कही आपने... बहुत-बहुत धन्यवाद रचना पंसद करने के लिए...
शरद जी बिल्कुल सही कहा आपने... बहुत-बहुत धन्यवाद...
वर्मा जी बहुत-बहुत धन्यवाद...
जन्मदिवस पर शुभकामनायें....
मन के भावों को खूबसूरत शब्द दिए हैं....
aise hi apke blog pe jane kaise aa gyee khoobsurat kavita padne ko mili.meri sis bhi sydny me hai,i miss her a lot.kami to hoti hai aise waqt me par aap khush rahe.wish u gud luck n very happy b day...
bahut hi bhavbhini rachna.
janamdin ki hardik shubhkamnayein.
आदरणीया भावना जी, आपने अपने मन के भावों को बहुत ही सुन्दरता के साथ अभिव्यक्त किया है। -----विलंब से ही सही जन्म दिवस की हार्दिक मंगलकामनायें स्वीकार करें। पूनम
भावना
अक्सर व्यक्ति के नाम, काम और रचना मैं अंतर देखने मैं आता है
तुम में मैं एक अपवाद देखता हूँ
व्यक्तित्व और कृतित्व पूर्ण भावनामय है.
अपनी भावनात्मकता बनाए रखना.
डगर कठीण है, परन्तु प्रयत्न ही परमेश्वर है.
शुभेच्छाए
डॉ प्रकाश मोघे
http://drprakashmoghe.blogpost.com
संगीता जी, वंदना जी बहुत-बहुत धन्यवाद...
डिंपल जी जानकर खुशी हुई कि बहिन भी सिडनी में हैं, आपका ब्लॉग पर अचानक आना हुआ और मुझे एक अच्छे पाठक मिल गए अब आना जाना नहीं आना ही बना रहना चाहिए कोशिश करूँगी की मेरे पाठकों को कभी भी मुझसे निराश ना होना पड़े आपका आभार स्नेह बनाए रखिए...
प्रकाश जी अब आपके बारे में क्या कहूँ आप गणित के व्यक्ति होकर कविता को इतने अच्छे से पढ़ते,समझते हैं और फिर उस पर इस तरह से प्रंशसा वास्तव में तारीफ के काबिल है बहुत-बहुत धन्यवाद...
पूनम जी देर की कोई बात ही नहीं है अपने मित्रों को अपने घर आया देखकर हमेशा खुशी ही होती है आपका बहुत अच्छा लगा पहले हमारा मिलना जुलना लगा रहता था किन्तु काफी समय से ना लिखने के कारण मेरा आप सबसे साथ छूट सा गया था आप सबको और नये मित्रों को पाकर आब अच्छा लगा कोशिश रहेगी हमारा साथ यूँ ही बना रहे
धन्यवाद...
जो आंखों ने देख रखे हैं
और कल्पना में जो बन्दी
उन सारे सपनों के खिल कर फूल बनें कुछ और सुगन्धी
निश्चय के सांचे में ढल कर
शिल्पित हो हर एक अपेक्षित
जो भी चाह उगाओ मन में
नहीं एक भी हो प्रतिबन्धित
तुम नभ की ऊँचाई छूते
ऐसे जगमग बनो सितारे
पाने को सामीप्य सदा ही
स्वयं गगन भी हो आकर्षित
और हो सके स्पर्श तुम्हारा पाकर नभ भी कुछ मकरन्दी
अभिलाषाओं की सँवरे आ
झोली सजने की अभिलाषा
और तुम्हारे द्वारे आकर
सावन रहे सदा ठहरा सा
बरखा के मोती सजते हों
वन्दनवार बने चौखट पर
बून्द ओस की आंजे अपनी
आंखों में देहरी की आशा
और गली में छटा बिखेरे संध्या भोर सदा नौचन्दी
शुभकामनायें
Rakesh Khandelwal
मेरी ओर से आपकोजन्म दिन की कोटिश: शुभकामनाएँ ।मैंने शुभकामना देने में बहुत देर करदी, इसके लिए शर्मिन्दा हूँ।
आप और आप के परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनाएं !!
डा० भावना जी ! होली की ढेर सारी हार्दिक वधाई!! हाइकु-२००९ प्रकाशित हो गया है ....... आपके हाइकु प्रकाशित हुए हैं........ आपको वधाई !!!
डा० व्योम
बहुत सुन्दर........भावनाओं का तीव्र प्रवाह............
आधे साल बाद देखा। जन्मदिन मुबारक!
bahut acchi kavita hai..........khush rahiye!
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