22 अप्रैल 2011

आसमान को छू लें

 भावना 


आओ बच्चों खेलें हम

आसमान को छू ले हम ।


थाली में जो तारे हैं
वे चमकीले - प्यारे हैं ।

क्यों न इनको ले लें हम
कर दें ये अँधियारा कम।

11 टिप्‍पणियां:

vijai Rajbali Mathur ने कहा…

सही सन्देश देती कविता है.

kshama ने कहा…

Behad pyaree,maasoom si rachana!

निवेदिता श्रीवास्तव ने कहा…

bahut pyaaree kavitaa...

!!अक्षय-मन!! ने कहा…

मासूमियत से ओत -प्रोत रचना ......
अक्षय-मन

Rakesh Kumar ने कहा…

सुन्दर कोमल भावों की सहज सरल सी अभिव्यक्ति
मेरे ब्लॉग पर आयें,आपका स्वागत है.

daanish ने कहा…

कम शब्द ...
बड़ी बात ....
मुकम्मल पैग़ाम .

Prakash ने कहा…

aapke vyakt shabdon mein hum rache base hain

Prakash ने कहा…

aapke shabdon mein hum sab rache base hain.

behad umda

पूनम श्रीवास्तव ने कहा…

भावना जी ,बच्चों के लिये बहुत कम शब्दों में लिखी गयी एक संदेशपरक कविता के प्रकाशन के लिये हार्दिक बधाई।

mridula pradhan ने कहा…

bahut pyari.....

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति ने कहा…

aap ke baaare me jaankar harsh huva... aur in chhoti chhoti rachnaao se badi badi bhavnaon sashkt dhang se likh kar hamse sheyar kiya ..aapkaa aabhaaar.... aap mere blog Amritras par bhi padharen ..sadar