"सच बोलते शब्द" राजेन्द्र मोहन त्रिवेदी जी के सम्पादकत्व में यह दूसरा संकलन है। प्रथम संस्करण "कुछ ऐसा हो" आप लोग पढ़ ही चुके हैं। "सच बोलते शब्द" में भी मेरे हाइकु प्रकाशित हुए हैं मैं राजेन्द्र जी का आभार व्यक्त करते हुए आप लोगों के साथ ये हाइकु शेयर करना चाहती हूँ आशा है आपका स्नेह मिलता रहेगा...
Bhawna
8 टिप्पणियां:
भावना जी बहुत ही सुन्दर रचनाएँ बधाई और शुभकामनाएं |have a nice day
बहुत गजब!!
आपके सभी हाइकु गुणवत्ता की दृष्टि से उत्तम हैं । ये हाइकु हिन्दी साहित्य की अमूल्य निधि बनेंगे, इसमें कोई दो राय नहीं। आपने सिद्ध कर दिया कि ्कम से कम शब्दों में अपनी बात कहना कठिन है पर आप इस काव्य-शैली में सक्षम हैं । बहुत बधाई !
Bahut khoob!
Naya saal mubarak ho!
शब्द सदा ही सच कहते हैं, झूठ बोलते केवल हम तुम
सोच रहा इक रोज पढ़ सकूंगा मैं ये सारे ही विद्रुम
भोज पत्र के जैसे ,जिन पर लिखे हायकू पुस्तक कर कर
शायद कभी यहाँ~म तक आयें पंख लगाकर ये उद्क्स उद्क्स कर.
सादर शुभकामनाओं सहित
राकेश
जबरदस्त है सारे हाइकू ...
आपके सच बोलते शब्द
दिल को छूते हैं.बहुत ही
सुन्दर लगी आपकी यह प्रस्तुति.
हर हाइकू ही लाजबाब है.
नव वर्ष की आपको हार्दिक शुभकामनाएँ.
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
'हनुमान लीला भाग-२' पर
आपका इंतजार है.
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति । एक-एक शब्द समवेत स्वर में बोल रहे हैं । मेरे पोस्ट पर आप आमंत्रित हैं । धन्यवाद ।
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