8 फ़रवरी 2013

कहाँ पहुँची मेरी पाती ? आप पढ़ना चाहेंगे ? मेरे दिल की बेचैनी को जानना चाहेंगे तो जरूर पढ़ियेगा-

हिन्दी अकादमी दिल्ली द्वारा प्रकाशित पुस्तक "देशान्तर" में मेरी भी कुछ रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं जो मुझे तो मालूम भी नहीं था काम्बोज जी ने मुझे बताया और साथ-साथ ही उन्होंने स्कैन करके मुझे भेजा भी मैं उनका तहे दिल से शुक्रिया करते हुए आप लोगों के साथ शेयर करना चाहूँगी आप सबका स्नेह ही मेरी लेखनी की ताकत है-
उषा जी का भी आभार उन्होंने मेल से सूचित किया...
प्रथम रचना बाकी २ अगली पोस्ट में :)

























  Bhawna

6 टिप्‍पणियां:

Rakesh ने कहा…

दिग दिगंत में देशांतर में रहे फैलता यश ऐसे ही
और लेखनी सदा अकम्पित शब्द सुमन में ढलती जाए
जितने भी भावों की सरिताएं मसि के निर्झर से निकालें
यही कामना बही हवा का हर झोंका उनको दुलराये।

सादर
राकेश

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

हार्दिक शुभकामनाएँ भावना जी!
~सादर!

सहज साहित्य ने कहा…

भावना जी आपकी लेखनी इसी तरह नई दिशाएँ स्पर्श करती रहे ! सदा यही कामना है ।

Dr.Anita Kapoor ने कहा…

भावनाओं से ओत-प्रोत रचना। शुभकामना

दिगम्बर नासवा ने कहा…

भावुक रचना ... दिल को छू गई ...

बेनामी ने कहा…

अद्भुत, शुभकामनाएं