15 मार्च 2014

कुछ पुरानी यादें ....

होली खेले तो बरसों हो गये पर कुछ पुरानी यादें हैं जो आज मन कर आया कि आप सबके साथ ताजा कर ली जायें,एक जमाना था जब रंग कुछ उन्माद सा भर देते थे, पर अब ना तो वैसा माहौल ही रहा ना  वो खुशबू देने वाले साफ-सुथरे रंग, ऊपर से अपनी मिट्टी से दूरी भी होली ना खेलने का एक बड़ा कारण बनी, हाँ लेखन जरूर चलता रहा।
आप सभी को हमारे पूरे कुँअर परिवार की ओर से होली की हार्दिक बधाई,खेलिएगा जरूर अगर होली खेलना पसन्द है तो पर ध्यान भी रखियेगा कि ये त्यौहार स्नेह मिलन का त्यौहार है-

कपोलों पर
खिलते थे कभी यूँ
कई रंग हमारे
आज जीते हैं
एहसासों में छिपे
परछाईं से कहीं।






























































Bhawna

2 टिप्‍पणियां:

सहज साहित्य ने कहा…

आपकी ये पंक्तियाँ बेहद भावपूर्ण हैं साथ ही चित्रों का संयोजन कविता को और भी अधिक सजीव कर गया। इन खिलते रंगों की परछाइयाँ भावविभोर कर गई और उदास भी !!

प्यार की स्टोरी हिंदी में ने कहा…

Being in love is, perhaps, the most fascinating aspect anyone can experience. Nice प्यार की स्टोरी हिंदी में Ever.

Thank You.