अन्तर्राष्टीय हिन्दी उत्सव के अन्तर्गत- १३ जनवरी २००७ में रात्रि ७.४५ पर त्रिवेणी सभागार, नई दिल्ली में मेरे शोध प्रबन्ध का विमोचन हुआ जिसका विषय है -"साठोत्तरी हिन्दी गज़ल में विद्रोह के स्वर एवं उसके विविध आयाम"
11 टिप्पणियां:
बेनामी
ने कहा…
aadarniya bhawna ji, namaskar.
sarpartham aapko apki nahi pushtak ki vimochan ke liya badhi.
BHAGWAN SE YAHI KAMNA KARTA HU KI AAP NIRANTAR APNE PATH PAR NAHI UCHAYON KO CHUE.
डा० भावना कुँअर के शोधप्रबन्ध के लोकार्पण पर उन्हें बहुत बहुत बधाई। उनकी एक ��"र पुस्तक जो प्रकाशनाधीन है के लिए भी अनेक शुभकामना। शास्त्री नित्यगोपाल कटारे
आदरणीया भावना जी, आपके शोध प्रबंध के प्रकाशन के लिए हार्दिक बधाई। मैंने यह मेल देर से देखा ��"र इसके लोकार्पण कार्यक्रम में शामिल होने से चूक गया। वैसे आप कब तक दिल्ली में हैं? मेरा भी दूसरा कविता संकलन "उखड़े हुए पौधे का बयान" प्रकाशित होकर आ चुका है। फरवरी के पहले सप्ताह में किसी दिन इसका लोकार्पण कराना चाहता हूँ। आपकी भी मौजूदगी रही तो खुशी होगी। कोई संपर्क हो तो बताएँ। मेरा नंबर है- 9899 600 326 शुक्रिया अभिरंजन कुमार
लिखता हूँ पहले मैं आज के लिए क्योंकि साहित्य है समाज के लिए। www.abhiranjankumar .com
सिर्फ़ बधाई दूँ मैं कोरी, यह मुझको स्वीकार नहीं है मुझे प्रतीक्षा, जब यह पुस्तक मेरे हाथों में आयेगी पढूँ इसे तब, सीखूँ कुछ मैं नये नये आयाम गज़ल के तभी आपके लिये बधाई अन्तर्मन से निकल पायेगी
राकेश जी मुझे आपके अन्तर्मन से निकली बधाई का इन्तज़ार रहेगा। वैसे आपको कुछ सीखने की आवश्यकता ही कहाँ है,लेकिन फिर भी पुस्तक आपके पास जल्दी ही पहुँचाने का प्रयास करुँगी।
11 टिप्पणियां:
aadarniya bhawna ji, namaskar.
sarpartham aapko apki nahi pushtak ki vimochan ke liya badhi.
BHAGWAN SE YAHI KAMNA KARTA HU KI AAP NIRANTAR APNE PATH PAR NAHI UCHAYON KO CHUE.
dhanayvad
narendra
डा० भावना कुँअर के शोधप्रबन्ध के लोकार्पण पर उन्हें बहुत बहुत बधाई। उनकी एक ��"र पुस्तक जो
प्रकाशनाधीन है के लिए भी अनेक शुभकामना।
शास्त्री नित्यगोपाल कटारे
आदरणीया भावना जी,
आपके शोध प्रबंध के प्रकाशन के लिए हार्दिक बधाई। मैंने यह मेल देर से देखा ��"र इसके लोकार्पण
कार्यक्रम में शामिल होने से चूक गया। वैसे आप कब तक दिल्ली में हैं? मेरा भी दूसरा कविता
संकलन "उखड़े हुए पौधे का बयान" प्रकाशित होकर आ चुका है। फरवरी के पहले सप्ताह में किसी दिन
इसका लोकार्पण कराना चाहता हूँ। आपकी भी मौजूदगी रही तो खुशी होगी। कोई संपर्क हो तो बताएँ।
मेरा नंबर है- 9899 600 326
शुक्रिया
अभिरंजन कुमार
लिखता हूँ पहले मैं आज के लिए
क्योंकि साहित्य है समाज के लिए।
www.abhiranjankumar .com
Dr Bhawna ji,
aapko va
Abhiranjan ji ko aapki nayee Pustakon ke liye meri or se bahot sari Badhaai !
Manzil milne ki aas thee…
ye hum nahee jante the
rasta hee bun gaya tha,
unki aawaz se Manzil meri !
warm regards,
lavanya
नरेन्द्र जी, शास्त्री जी, अभिरंजन जी और लावन्या जी आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।
सिर्फ़ बधाई दूँ मैं कोरी, यह मुझको स्वीकार नहीं है
मुझे प्रतीक्षा, जब यह पुस्तक मेरे हाथों में आयेगी
पढूँ इसे तब, सीखूँ कुछ मैं नये नये आयाम गज़ल के
तभी आपके लिये बधाई अन्तर्मन से निकल पायेगी
राकेश जी मुझे आपके अन्तर्मन से निकली बधाई का इन्तज़ार रहेगा। वैसे आपको कुछ सीखने की आवश्यकता ही कहाँ है,लेकिन फिर भी पुस्तक आपके पास जल्दी ही पहुँचाने का प्रयास करुँगी।
बधाई
शुक्रिया :)
वाह भावना जी, बहुत बहुत बधाई हो. माफी चाहूँगा, बधाई देने देर से आ पाया.
समीर जी कोई बात नहीं 'देर आए आए दुरूस्त आए'। बधाई का शुक्रिया।
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