फूलों जैसा मेरा देश मुरझाने लगा
शत्रुओं के पंजों में जकडा जाने लगा
रात-दिन मेरी आँखों में एक ही ख्वाब
कैसे हो मेरा 'प्यारा देश' आजाद
कैसे छुडाऊँ इन जंजीरों की पकड से इसको
कैसे लौटाऊँ वापस वही मुस्कान इसको
कैसे रोकूँ आँसुओं के सैलाब को इसके
कैसे खोलूँ आजादी के द्वार को इसके
कैसे करूँ कम आत्मा की तडप रूह की बेचैनी को
चढ़ जाऊँ फाँसी मगर दिलाऊँगा आजादी इसको
ये जन्म कम है तो, अगले जन्म में आऊँगा
पर देश को मुक्ति जरूर दिलाऊँगा।
जो सोचा था कर दिखलाया
भले ही उसको फाँसीं चढ़वाया
शहीद भगत सिंह नाम कमाया
आज भी सब के दिल में समाया।
शत्रुओं के पंजों में जकडा जाने लगा
रात-दिन मेरी आँखों में एक ही ख्वाब
कैसे हो मेरा 'प्यारा देश' आजाद
कैसे छुडाऊँ इन जंजीरों की पकड से इसको
कैसे लौटाऊँ वापस वही मुस्कान इसको
कैसे रोकूँ आँसुओं के सैलाब को इसके
कैसे खोलूँ आजादी के द्वार को इसके
कैसे करूँ कम आत्मा की तडप रूह की बेचैनी को
चढ़ जाऊँ फाँसी मगर दिलाऊँगा आजादी इसको
ये जन्म कम है तो, अगले जन्म में आऊँगा
पर देश को मुक्ति जरूर दिलाऊँगा।
जो सोचा था कर दिखलाया
भले ही उसको फाँसीं चढ़वाया
शहीद भगत सिंह नाम कमाया
आज भी सब के दिल में समाया।
वतन से दूर हूँ लेकिन
अभी धड़कन वहीं बसती
वो जो तस्वीर है मन में
निगाहों से नहीं हटती।
बसी है अब भी साँसों में
वो सौंधी गंध धरती की
मैं जन्मूँ सिर्फ भारत में
दुआ रब से यही करती।
बड़े ही वीर थे वो जन
जिन्होंने झूल फाँसी पर
दिला दी हमको आजादी।
नमन शत-शत उन्हें करती।
Dr.Bhawna
24 टिप्पणियां:
वतन से दूर हूँ लेकिन
अभी धड़कन वहीं बसती
वो जो तस्वीर है मन में
निगाहों से नहीं हटती।
--बहुत बेहतरीन..अति सुन्दर.
बहुत अच्छी कविता आपने पेश की.....देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत......गणतंत्र दिवस के मौके पर अच्छी प्रस्तुति......गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएं।
आप जैसा हर कोई सोचने लगे तो हमारा देश फ़िर से सोने की चिड़ीया हो जायेगा। आपकी भावनाओं को सलाम।विजयी विश्व तिरंगा प्यारा।आपको गणतंत्र दिवस की अग्रिम बधाई।
Bhavna ji,
Itnee door raha kar bhee apke andar desh prem ka jo jajba hai,uskee jitnee tareef kee jaya kam hai.donon hee rachnayen aur chitra badhiya hain.
Poonam
sundar hai, yahi hai apnaa bhimaan
अच्छा लेख .....गणतंत्र दिवस की बधाई
अनिल कान्त
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
बेहतरीन कविता प्रस्तुत करने के लिये भावना जी आप बधाई की पात्र हैं...
Bhawana ji,
bahut hee sundar aur khoobsoorat dhang se apne apnee desh prem kee bhavnaon ko abhivyakt kiya hai....Gantantra Divas ke avsar par apko hardik mangalkamnayen.
Hemant Kumar
बहुत ही भावनात्मक सफ़र ...बधाई...
देश प्रेम के रस से डूबी...........सुंदर कविता
वतन से दूर हूँ लेकिन
अभी धड़कन वहीं बसती
वतन से दूर हूँ लेकिन
अभी धड़कन वहीं बसती
वो जो तस्वीर है मन में
निगाहों से नहीं हटती।
Dil ko chu gayi.Badhai.
वतन से दूर हूँ लेकिन
अभी धड़कन वहीं बसती
वो जो तस्वीर है मन में
निगाहों से नहीं हटती।
बसी है अब भी साँसों में
वो सौंधी गंध धरती की
मैं जन्मूँ सिर्फ भारत में
दुआ रब से यही करती।
आपकी इस भावना को मेरा सलाम पहुंचे।
apne watan ke prati smarpit
bhaavnaaon ko spasht roop se darshaane mein saksham is kaamyaab
kavita par haardik badhaaee svikaarein........
---MUFLIS---
अत्यन्त सुंदर रचना के लिए साधुवाद.
भावना जी,
आप वतन से दूर कहां हैं? जिनके दिल में वतन है वही तो इस देश की ताकत हैं।
bahut sundar bhaav
बहुत गज़ब की कवितायें हैं. अच्छा लगा आपका ब्लॉग. यूँ ही लिखते रहिये. आभार.
अपना वतन किसे प्यारा नही लगता है । अपनी जन्मभूमि स्वगॆ से भी बढ़कर लगती है । फिर मनुष्य तो सफल और स्वतंत्र जीव होता है उसे तो आजादी ही आजादी चाहिए । लेकिन वह आजाद कितना भी क्यो न हो और उसे हर हसीन सपने क्यो ने देखे हो लेकिन वतन का प्यार उसे हर वक्त याद आता रहता है । सुन्दर लेख शु्क्रिया
अपना वतन किसे प्यारा नही लगता है । अपनी जन्मभूमि स्वगॆ से भी बढ़कर लगती है । फिर मनुष्य तो सफल और स्वतंत्र जीव होता है उसे तो आजादी ही आजादी चाहिए । लेकिन वह आजाद कितना भी क्यो न हो और उसे हर हसीन सपने क्यो ने देखे हो लेकिन वतन का प्यार उसे हर वक्त याद आता रहता है । सुन्दर लेख शु्क्रिया
सुंदर एवं रमणीय रचना
सुंदर एवं रमणीय रचना
अमर शहीदों को शत शत नमन
आपके जज्बे को भी नमन
आपका एहसास पाकीज़ा है
वही आपकी ताक़त है
इन अभिनव और अनुपम भावनाओं की अभिव्यक्ति के लिए
मुबारकबाद
---मुफलिस---
भावना जी,
नमस्कार , सही कहा आपने अपने देश कि माटी की महक रोम रोम मे बसा है यहा के लोगो का स्नेह जिसमे माधुर्य भरा हुया है, अपनत्व का रस दिखता है । आपने अपनी लेखनी से देशप्रेम का जादू बिखेर दिया वाह भाई वाह
सर्वेश दुबे
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