9 अगस्त 2010

दो मुँह वाला कछुआ...

अरे ये दो मुँह वाला कछुआ तो बहुत ही प्यारा है देखो तो कितने सारे लोगों की निगाहें इसको कितने प्यार से निहार रहीं हैं काश !मैंने भी इसे देखा होता यही मलाल हो रहा है ...





















अरे क्या देख रहे हो भाई मैंने मुंह साफ किया है ...













बहुत थक गया हूँ ...आराम करना चाहता हूँ ...चलिए इन महाशय का हाथ ही सही ...
बड़े प्यार से लिटाये हैं ...














चलना होगा ...दूसरे बच्चों से भी तो मिलना है ना...













बहुत तेज भूख लगी है ...आज पत्ते से ही काम चलता हूँ ...















अरे !ये तो बहुत स्वाद है
...












अरे रुको फोटो ले रहे हो

तो जरा पोज तो बनाने दो ...








Bhawna

4 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

अरे गजब!! ये कहाँ मिल गया!!

kshama ने कहा…

Oh wow! Bade mazedaar chitr hain!

सहज साहित्य ने कहा…

दो मुंह वाला कछुआ तो गज़ब है ही और आपकी विशिष्ट टिप्पणी बहुत कुछ बोलती है , एकदम सहज भाव से । खूबसूरत ।

अनूप शुक्ल ने कहा…

वाह! दोनों मुंह खाने के हैं इसके। दिखाने के तो हैं ही।