आज रक्षाबन्धन है सभी इस पर्व पर खुशियाँ मना रहे होंगे, मनानी भी चाहिए, लेकिन कुछ दिल ऐसे भी हैं जो आज़ बहुत उदास भी हैं जिनमें मेरे पापा भी हैं उनकी दो बहनें थी दोनों ही उनका साथ छोड़ गई, बहुत याद करते हैं पापा उनको, पर यही तो दुनिया है दुख-सुख साथ-साथ चलते है। कुछ भाई अपनी बहनों से दूर परदेस में हैं, उनमें मेरा परिवार भी है जो यहाँ इतनी दूर है, इस पर्व पर उनका याद आना स्वाभिक भी है, माँ भी हर त्यौहार पर अपने बेटे का रास्ता देखती है, इसी को थोड़ा सा हाइकु के माध्यम से मैंने और रामेश्वर जी ने कहने का प्रयास किया है, शायद पंसद आए, अगर आए तो हौसला जरूर बढाइये।
बहुत-बहुत आभार
इस पर्व की बहुत सारी शुभकामनाएँ
नेह की गली
मन में खिली अब
आस की कली । R
आस की कली
ना मुरझाये कभी
ना, सूनी गली। B
नेह तुम्हारा
तोड़ बँधन सब
खींच ही लाया । B
न टूटे कभी
आशाओं की कलियाँ
आरज़ू यही । B
तुमको देखा
मिट गई मन से
चिन्ता की रेखा । R
परदेस में
जब याद तू आई
बड़ा रुलाई । B
चिन्ता ने तुम्हें
बना दिया बीमार
मेरे कारण। B
जाँऊगा नहीं
छोड़कर आँचल
माँ तेरा कभी। B
Bhawna
14 टिप्पणियां:
बहुत भावपूर्ण हाईकु!
रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनाएँ.
Bahut sundar haiku!
Apni apni qismat hoti hai! Mera bhai bilkul paas me rahta hai lekin mere baar,baar sampark karne pe bhi jawab nahi! Aisa bhi hota hai!
बहुत भावपूर्ण .. आपको रक्षाबंधन की बधाई और शुभकामनाएं !!
आप को राखी की बधाई और शुभ कामनाएं.
परदेस में
जब याद तू आई
बड़ा रुलाई । B
भावना जी आपके इस हाइकु ने तो मुझे सचमुच रुला दिया । हाइकु का गुण है वह दिल से निकली अनायास धारा की तरह हो आपका यह हाइकु उसका मानक रूप है । मेरी हार्दिक बधाई । आपकी कलम ऐसा ही सृजन करती रहे । मन-प्राण में सदा नया उजास भरती रहे
BHAAVANA JI
BAHUT HI EMOTIONAL AUR DIL KO CHOO LENI WALI RACHNA , KYA KAHUN ..SHABD NAHI HAI ..
VIJAY
आपसे निवेदन है की आप मेरी नयी कविता " मोरे सजनवा" जरुर पढ़े और अपनी अमूल्य राय देवे...
http://poemsofvijay.blogspot.com/2010/08/blog-post_21.html
आपकी पीड़ा समझ आती है बहुत ही भाव पूर्ण लिखा है .... राखी का पर्व मुबारक हो ....
bhavuk or khoobsurat kavita...
Really very touching post..........
Thanks.
bahut hee sundar rachna ...badhai
भावना जी, सभी हाइकु बहुत भावनात्मक हैं---दिल की गहराइयों से निकले हुये। शुभकामनायें।
Bhavnaji," Bikhare Sitare" blog pe ,'In sitaron se aage" is post me aapkee ek patahk ke taurpe maine shukrguzaree ada kee hai...zaroor gaur farmayen!
बहुत भावनात्मक हाइकु...........
आस की कली
ना मुरझाये कभी
ना, सूनी गली...
हार्दिक बधाई !!!
bahut sundar kavita bhawnaji badhai
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