1 जुलाई 2011

एक फूल की आत्मकथा...











एक फूल

जो हमेशा बनाए रखता था
एक घेरा अपने चारों ओर
उदासी का घेरा...
फिर न जाने कहाँ से एक माली आया
और करने लगा देखभाल...
फूल सकुचाता रहा
मगर माली के प्यार
उसके दुलार
उसके अपनेपन के आगे
फूल ने भी कर दिया आत्मसमर्पण ...
तोड़ डाला वो उदासी का घेरा
लगा मुस्कराने, खिलखिलाने
जीवन जीने की ललक,
साँसे लेने का साहस,
न जाने उसमें कैसे आ गया !
अब चारों तरफ
प्यार,दुलार,अपनापन पाकर
जी उठा फिर से...
पर ये क्या!
अचानक क्या हुआ इस माली को...
एक ही झटके में
ऊखाड़ डाला जड़ से...
पर मासूम फूल उदास नहीं हुआ
मुस्कराता रहा...
बस यही सोचकर
कि कुछ समय के लिए ही सही
उसने भी पाया था अपनापन,प्यार,दुलार...
पर नहीं समझ पाया
इतने बड़े बदलाव का कारण
क्या ये माली की अपनी सोच थी
या फिर वो भटक गया था
किसी की बातों से...
जो सोच भी नहीं सका
साथ बिताए वो खूबसूरत पल
क्या कभी याद नहीं आयेगा
उस फूल का मासूम चेहरा?
और क्या अब कोई फूल
किसी माली को देखकर
तोड़ पायेगा अपनी उदासी का घेरा
पैदा कर पायेगा अपने अन्दर
जीने की चाह
शायद नहीं
क्योंकि उदासी के बाद
मिलने वाला प्यार
कभी कोई कहाँ भूल पाता है
हाँ मर जरूर जाता है जीते जी
और छोड़ देता है साँसे
मंद-मंद मुस्कराते हुए
अपने माली के लिए...


Bhawna

16 टिप्‍पणियां:

सहज साहित्य ने कहा…

एक फूल की आत्मकथा वास्तव में एक फूल की आत्म व्यथा ही है । भावना जी ! बहुत दिनों के बाद आपकी कविता पढ़ने को मिली , परिपक्व , हृदयस्पर्शी प्यार , करुणा , अवसाद और खुशी एक साथ जगाने वाली । आपकई इन पंक्तियों ने तो नि:शब्द कर दिया - उदासी के बाद
मिलने वाला प्यार
कभी कोई कहाँ भूल पाता है
हाँ मर जरूर जाता है जीते जी
और छोड़ देता है साँसे
मंद-मंद मुस्कराते हुए
अपने माली के लिए...-आपने सही कहा है कि उदासी के बाद मिलने वाला प्यार भुलाए नहीं भूलता, एक टीस छोड़ जाता है । माली कहीं नहीं गया । वह फिर आएगा और फूल की उदासी दूर कर, पंखुड़ी पर ओस- बिन्दु बिखराकर फिर जीवन की ताज़ग़ी प्रदान करेगा । बहुत प्यारी कविता ! बहुत बधाई !

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत गहरे भाव...शायद फिर मुस्करायेगा...जीवन चक्र तो पूर्ण होना ही है....


उम्दा रचना....

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

wah....!! yani phool ki masumiyat ko maali ne jinda kar diya..:)
bahut khubsurat rachna..!!
bahut khubsurat blog hai aapka...follow karna pada:)

रेखा ने कहा…

सुन्दर प्रतीकात्मक रचना ..

kshama ने कहा…

क्योंकि उदासी के बाद
मिलने वाला प्यार
कभी कोई कहाँ भूल पाता है
हाँ मर जरूर जाता है जीते जी
और छोड़ देता है साँसे
मंद-मंद मुस्कराते हुए
अपने माली के लिए...
Aah!

Rachana ने कहा…

manobhavon ki sunder abhivyakti.
ful punah muskurayega.
sunder soch hai .

.जो सोच भी नहीं सकासाथ बिताए वो खूबसूरत पलक्या कभी याद नहीं आयेगाउस फूल का मासूम चेहरा?और क्या अब कोई फूलकिसी माली को देखकरतोड़ पायेगा अपनी उदासी का घेरापैदा कर पायेगा

rachana

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

काम्बोज जी जितनी गहराई से बात कही जाए, जब उतनी ही गहराई तक पाठक तक पहुँच जाए तो एक अजीब सा सुकून मन को मिलता है। आपकी टिप्पणी हमेशा ही आगे लिखने को प्रेरित करती है जो मेरे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है, उत्साह वर्धन के लिए आभार...

समीर जी आपकी सराहना भी मेरे लिए अमूल्य है आपका कहना एकदम सही है जीवन तो चक्र ही है जो घूमफिर कर उसी राह पर आता है बहुत-बहुत आभार...

मुकेश जी आप मेरे ब्लॉग पर पहली बार आए और रचना भी आपको पंसद आई ये तो मेरे लिए खुशी की बात है, मैं कोशिश करूँगी की अगली बार भी आपको रचना आकर्षित कर पाए, बहुत-बहुत धन्यवाद...

रेखा जी आपका भी आभार...

क्षमा जी ब्लॉग पर आने के लिए आभार...

रचना जी आपका भी बहुत-बहुत धन्यवाद...

Vivek Jain ने कहा…

बहुत सुंदर,
आभार,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

बहुत ही रम्य और सुंदर कविता भाव बहुत बहुत बधाई |

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

बहुत ही रम्य और सुंदर कविता भाव बहुत बहुत बधाई |

बेनामी ने कहा…

Bhawna ji,

Itni bhawpoorvak kavita prdhke dil bhar aaya. Laga jaise mai hi wo phool hu aur aasuon ne aankho me rukne ka naam na liya.
Beautifully wriitten and extremly touching creation. I hope us phool ko mali dobara se zarur uthaye. phool bhi shayad isi intzaar me muskurana nahi chord raha...

Thanks for sharing.

बेनामी ने कहा…

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