9 अगस्त २००6 को मैंने ब्लॉग लिखना शुरू किया था और मेरी सबसे पहली पोस्ट रक्षा बंधन थी, पूरे 5 साल हो गए हैं ये सफर अभी भी जारी है कब तक रहेगा नहीं पता, बहुत सी अड़चनें आईं कभी रूका, कभी धीमा हुआ मगर फिर मित्रों का स्नेह उनका अपनापन इस सफर को पूरा करने लिये मिला बस फिर क्या फिर से धीमी गति से ही सही निकल पड़े हैं मंजिल की तलाश में थोड़ा देर हो गई सेलीब्रेशन में... अगस्त में हालात कुछ अजीब से हो जाते हैं मिले जुले भावों से घिरी मैं प्रयास करती हूँ कि उन यादों से बाहर निकलूँ जो दिल को झंझोड कर रख देती हैं पर ऐसा हो नहीं पाता एक मासूम आते-आते रह गया थाअगस्त महीने में जो आज १३ साल का होता... जिसका नाम भी दे चुके थे नाम था ईषाण बस डॉ० की लापरवाही उसको बचा नहीं पाई वरना वो भी इस संसार को देख पाता ...मेरी ये रचना मेरे बेटे ईषाण को समर्पित है जो कभी भी मेरी यादों से, दिल दे दूर नहीं हो सकता ये रचना पहले भी बलॉग पर दी जा चुकी है...
कल जब वो
मेरी गोद में आया,
बहुत मासूम !
बहुत कोमल !
इस संग दिल दुनिया से
अछूता सा,
शान्त!
बिल्कुल शान्त !
ना कोई धड़कन
ना ही कोई हलचल।
मेरा सलौना,
मेरा नन्हा,
बिना धड़कन के मेरी बाहों में।
नहीं भूल पाती
उसका मासूम चेहरा,
नहीं भूल पाती
उसका स्पर्श।
बस जी रहीं हूँ
उसकी यादों के सहारे।
देखती हूँ
हर रात उसका चेहरा
टिमटिमाते तारों के बीच
और जब भी कोई तारा
ज्यादा प्रकाशमान होता है,
लगता है मेरा नन्हा
लौट आया है
तारा बनकर
और कहता है-
"मत रो माँ मैं यहीं हूँ
तुम्हारे सामने
मैं रोज़ देखा करता हूँ तुम्हें
यूँ ही रोते हुये
मेरा दिल दुखता है माँ
तुम्हें यूँ देखकर
मैं तो आना चाहता था,
किन्तु नहीं आने दिया
एक डॉक्टर की लापरवाही ने मुझे
मिटा ही डाला मेरा वज़ूद
इस दुनिया से,
पर माँ तुम चिन्ता मत करो
मैं यहाँ खुश हूँ
क्योंकि मैं मिलता हूँ रोज़ ही तुमसे
तुम भी देखा करो मुझे वहाँ से।
नहीं छीन पायेगी ये दुनिया
अब कभी भी
ये मिलन हमारा…
मेरी गोद में आया,
बहुत मासूम !
बहुत कोमल !
इस संग दिल दुनिया से
अछूता सा,
शान्त!
बिल्कुल शान्त !
ना कोई धड़कन
ना ही कोई हलचल।
मेरा सलौना,
मेरा नन्हा,
बिना धड़कन के मेरी बाहों में।
नहीं भूल पाती
उसका मासूम चेहरा,
नहीं भूल पाती
उसका स्पर्श।
बस जी रहीं हूँ
उसकी यादों के सहारे।
देखती हूँ
हर रात उसका चेहरा
टिमटिमाते तारों के बीच
और जब भी कोई तारा
ज्यादा प्रकाशमान होता है,
लगता है मेरा नन्हा
लौट आया है
तारा बनकर
और कहता है-
"मत रो माँ मैं यहीं हूँ
तुम्हारे सामने
मैं रोज़ देखा करता हूँ तुम्हें
यूँ ही रोते हुये
मेरा दिल दुखता है माँ
तुम्हें यूँ देखकर
मैं तो आना चाहता था,
किन्तु नहीं आने दिया
एक डॉक्टर की लापरवाही ने मुझे
मिटा ही डाला मेरा वज़ूद
इस दुनिया से,
पर माँ तुम चिन्ता मत करो
मैं यहाँ खुश हूँ
क्योंकि मैं मिलता हूँ रोज़ ही तुमसे
तुम भी देखा करो मुझे वहाँ से।
नहीं छीन पायेगी ये दुनिया
अब कभी भी
ये मिलन हमारा…
Bhawna
20 टिप्पणियां:
बहुत मार्मिक और भावपूर्ण....उपर वाले के आगे कब किसकी चल पाई है...जाने क्या क्या कर जाता है!!
बहुत ही भावपूर्ण रचना....
उफ़ बेहद मार्मिक…………कुछ और कहने की स्थिति मे नहीं।
आपकी इस कविता को पढ़कर मैं इतना सन्नाटे में आ जाता हूँ कि क्या लिखूँ । शब्द ही नहीं सूझते । माँ का दुख केवल ईश्वर ही समझ सकता है क्योंकि वह भी माँ उसी का एक हिस्सा है ।उसके आगे किसी का कोई वश नहीं चलता । एक आत्मीय होकर यही कह हूँ- आँसू तुम्हारे / है सागर का जल ।/दर्द अतल / ये दे दो हमें तुम / दर्द कुछ घटेगा
uf aapne ktna dard paya hai .yahin hai hum bebas ho jate hain
aapki kavita me ma ka man hai jo shbdon ke rup me bah raha hai
rachana
मन भीग गया पढ़ कर...
आद. डा. भावना जी,
कविता की मार्मिक पंक्तियाँ प्रणम्य हैं !
आभार !
यादों से खूबसूरत चीज इस दुनिया में और कोई नहीं।
------
लो जी, मैं तो डॉक्टर बन गया..
क्या साहित्यकार आउट ऑफ डेट हो गये हैं ?
bhawna ji
aaj aapki post padhrahi hun aur aankhen nam hoti ja rahi hain.maa ke dil ka haal ek maa se badhkar koun samajh sakta hi.
aap yun dil ko dukhi na kiya karen ,usne jo bhi xhanik khushi aapko di vo aapke saath to hamesha hi rahegi.
vidhi ke vidhan ko koun taal paya hai
bahut hi dil ko jhakjhor gai aapki yah prastuti
shu hkamnao ke saath
poonam
भाव विह्वल करती ,बे -चैनी,पैदा करती रचना .जीव जगत का माँ के गर्भ में आना एक आध्यात्मिक चमत्कार होता है .हमने भी साक्षी भाव से देखा है :स्टिल बर्थ ,वह तो अब होता चालीस साल का .जब संस्कार नहीं था ,यहाँ टिकने का तब वह सूक्ष्म जीव टिकता कैसे .? . आपने बहुतसंवेदन शील , अच्छी पोस्ट . जय ,जय अन्ना जी ,जय भारत .
सद-उद्देश्यों के लिए, लड़ा रहे वे जान |
कद - काठी से शास्त्री, धोती - कुरता श्वेत |
बापू जैसी सादगी, दृढ़ता सत्य समेत ||
ram ram bhai
सोमवार, २२ अगस्त २०११
अन्ना जी की सेहत खतरनाक रुख ले रही है . /
http://veerubhai1947.blogspot.com/
.
.आभार .....इफ्तियार पार्टी का पुण्य लूटना चाहती है रक्त रंगी सरकार ./ http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com
Tuesday, August 23, 2011
इफ्तियार पार्टी का पुण्य लूटना चाहती है रक्त रंगी सरकार .
जिस व्यक्ति ने आजीवन उतना ही अन्न -वस्त्र ग्रहण किया है जितना की शरीर को चलाये रखने के लिए ज़रूरी है उसकी चर्बी पिघलाने के हालात पैदा कर दिए हैं इस "कथित नरेगा चलाने वाली खून चुस्सू सरकार" ने जो गरीब किसानों की उपजाऊ ज़मीन छीनकर "सेज "बिछ्वाती है अमीरों की ,और ऐसी भ्रष्ट व्यवस्था जिसने खड़ी कर ली है जो गरीबों का शोषण करके चर्बी चढ़ाए हुए है .वही चर्बी -नुमा सरकार अब हमारे ही मुसलमान भाइयों को इफ्तियार पार्टी देकर ,इफ्तियार का पुण्य भी लूटना चाहती है ।
अब यह सोचना हमारे मुस्लिम भाइयों को है वह इस पार्टी को क़ुबूल करें या रद्द करें .उन्हें इस विषय पर विचार ज़रूर करना चाहिए .भारत देश का वह एक महत्वपूर्ण अंग हैं ,वाइटल ओर्गेंन हैं .
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com//......
गर्भावस्था और धुम्रपान! (Smoking in pregnancy linked to serious birth defects)
Posted by veerubhai on Sunday, August 21
२३ अगस्त २०११ १:३६ अपराह्न
Hi I really liked your blog.
I own a website. Which is a global platform for all the artists, whether they are poets, writers, or painters etc.
We publish the best Content, under the writers name.
I really liked the quality of your content. and we would love to publish your content as well. All of your content would be published under your name, so that you can get all the credit for the content. This is totally free of cost, and all the copy rights will remain with you. For better understanding,
You can Check the Hindi Corner, literature and editorial section of our website and the content shared by different writers and poets. Kindly Reply if you are intersted in it.
http://www.catchmypost.com
and kindly reply on mypost@catchmypost.com
ओह....!
क्या हुआ था ...?
कैसी लापरवाही थी डाक्टरों की .....?
सुन्दर रचना , सार्थक सृजन , बधाई
kash doctor ''ishan''ko bacha pate-lekin ....sab kuchh apne bas me nahi .
बहुत ही भावपूर्ण रचना..............
आपकी इस कविता पढ़कर मन भीग गया ............कई बार हम कितने बेबस हो जाते हैं कि ऊपर वाले ने ऐसा क्यों किया हम समझ ही नहीं पाते !
एक ओर आपको ब्लोग्गिंग में पांच वर्ष पूरे करने के लिए बधाई,दूसरी और यह जानकर बहुत दुख हुआ कि १३ वर्ष पूर्व आपको असहनीय पीड़ा से गुजरना पड़ा.आपकी भावुक मार्मिक प्रस्तुति के लिए मेरा सादर नमन.
मेरे ब्लॉग पर आप आयीं,आपका बहुत बहुत आभार.
एक बार फिर से आईयेगा,आपके सुविचार मेरा उत्साहवर्धन करते हैं.मैंने ब्लोग्गिंग फरवरी २०११ में शुरू की थी.मेरे लिए आप वरिष्ठ ब्लोगर हैं,कृपया मार्गदर्शन कीजियेगा.
दिल की पीड़ा
पढ़के दिल रोया
आँखें हैं गीली
और क्या कहूँ...
समझ सकती हूँ आपके दर्द को..
ऋता
दिल की गहरायिओं को स्पर्श करती हुयी रचना..
कभी समय निकल कर मेरे ब्लॉग पर भी सैर करे..धन्यवाद
www.bankaramchoudhary.blogspot.com
मेरे ब्लॉग पर आपका इंतजार है भावना जी.
It's heart touching...
एक टिप्पणी भेजें