बिखर गये सपनों की किरचें उठा बनायें नई तूलिका मन के कैनवास पर फिर से नये चित्र में रंग सजायें पायल की रुनझुन को ढालें नये शब्द की अनुभूति में संकल्पों के जल से सिंचित फिर नूतन निर्माण बनायें
Shama ji yahi jindgi hai shyad jo kabhi gamon ke duba2 kar maar daalti hai fir koi kiran bhejti hai jinda karne ko or fir vahi dubane lag jaati hai..meri rachna ke marm ko samjhne ke liye aabhaar..
भावना जी आपने इस जापानी छन्द सेदोका में बहुत गहरी अनुभूति का रस उडेल दिया है , जिसका स्वाद जीवान में सबको चखना पड़ता है । मैं तो यही कहूँगा आपकी इन खूबसूरत पंक्तियों के लिए- जीवन में सबने ही ,कुछ सपने पाले हैं। कितने टूटे या बचे , रब के हवाले हैं ॥
"कौन मेरी थाम गर्दन है विवश करता कि कह दूं व्यर्थ जीवन भी, मरण भी स्वप्न भी छल, जागरण भी"..... मन के तारों को झिंझोड़ दिया आपने दिल के दरमियां आकर मन भावनाओं में बहने लगा है
11 टिप्पणियां:
Zindagee me kewal ek sapna sakar hua lekin,uska sakar hona galat tha....us ek sapne ke karan zinndagee tabah hui.....bahut achhee tarah samajh sakti hun,sapne toota kya hota hai...
गहरे भाव!!
बिखर गये सपनों की किरचें उठा बनायें नई तूलिका
मन के कैनवास पर फिर से नये चित्र में रंग सजायें
पायल की रुनझुन को ढालें नये शब्द की अनुभूति में
संकल्पों के जल से सिंचित फिर नूतन निर्माण बनायें
Sach kaha hai toote sapnon ka dard vo samajh sakta hai Jiske sapne toote hon ... Gahre bhaav liye ...
Shama ji yahi jindgi hai shyad jo kabhi gamon ke duba2 kar maar daalti hai fir koi kiran bhejti hai jinda karne ko or fir vahi dubane lag jaati hai..meri rachna ke marm ko samjhne ke liye aabhaar..
Abhaar Sameer ji,aabhaar digmabar ji...
Rakesh ji aapki rachna se to tuutte insaan ko sahara mil jaye bahut gahare tak man men uatar gayi aapki ye panktiyan..bahut2 aabhaar
भावना जी आपने इस जापानी छन्द सेदोका में बहुत गहरी अनुभूति का रस उडेल दिया है , जिसका स्वाद जीवान में सबको चखना पड़ता है । मैं तो यही कहूँगा आपकी इन खूबसूरत पंक्तियों के लिए- जीवन में सबने ही ,कुछ सपने पाले हैं। कितने टूटे या बचे , रब के हवाले हैं ॥
चंद पंक्तिया और बेहतरीन अभिव्यक्ति.....
बहुत खूबसूरत पंक्तियाँ....
अनु
"कौन मेरी थाम गर्दन
है विवश करता कि कह दूं
व्यर्थ जीवन भी, मरण भी
स्वप्न भी छल, जागरण भी".....
मन के तारों को झिंझोड़ दिया आपने
दिल के दरमियां आकर मन भावनाओं में बहने लगा है
एक टिप्पणी भेजें