ताँका रचनाएँ
1
सूख चुकें हैं
घटाओँ के भी आँसू
बनी है शिला
कभी न बरसेगी
न कभी हरसेगी ।
2
मन भीतर
छन्न से कुछ टूटा
बिखरा सब
काले मेघों ने मुझे
इस तरह लूटा।
3
बची हैं कुछ
उलझी-उलझी सी
यादें पुरानी
जीने की चाह अब
हो चुकी है बेमानी।
4
सीले संदेश
मुझ तक जो आए
पढें न जाएँ
बरस गईं आँखें
होंठ कँपकँपाएँ।
5
तेज हवाएँ
ले उड़ी थी सन्देशे
जो भिजवाए
यादों के वो पन्ने भी
हुए अब पराए।
6
छीन ली पाती
जो मेघा ले चले थे
अश्रू भरे थे
सीपियों के बीच से
मोती बन झरे थे।
7
दुनिया वाले
ऊँगलियाँ उठाए
सीता पर भी
आँसुओं से नयना
भर-भर हैं जाएँ।
8
उमड़ पड़ा
आँसुओं का सैलाब
आँखों से आज
ये कैसा है तूफ़ान
जो ले गया है जान।
9
छलनी हुआ
से मासूम सा दिल
बिना कसूर
मिली ये कैसी सजा
कुछ पता न चला।
Dr.Bhawna Kunwar
1
सूख चुकें हैं
घटाओँ के भी आँसू
बनी है शिला
कभी न बरसेगी
न कभी हरसेगी ।
2
मन भीतर
छन्न से कुछ टूटा
बिखरा सब
काले मेघों ने मुझे
इस तरह लूटा।
3
बची हैं कुछ
उलझी-उलझी सी
यादें पुरानी
जीने की चाह अब
हो चुकी है बेमानी।
4
सीले संदेश
मुझ तक जो आए
पढें न जाएँ
बरस गईं आँखें
होंठ कँपकँपाएँ।
5
तेज हवाएँ
ले उड़ी थी सन्देशे
जो भिजवाए
यादों के वो पन्ने भी
हुए अब पराए।
6
छीन ली पाती
जो मेघा ले चले थे
अश्रू भरे थे
सीपियों के बीच से
मोती बन झरे थे।
7
दुनिया वाले
ऊँगलियाँ उठाए
सीता पर भी
आँसुओं से नयना
भर-भर हैं जाएँ।
8
उमड़ पड़ा
आँसुओं का सैलाब
आँखों से आज
ये कैसा है तूफ़ान
जो ले गया है जान।
9
छलनी हुआ
से मासूम सा दिल
बिना कसूर
मिली ये कैसी सजा
कुछ पता न चला।
Dr.Bhawna Kunwar
1 टिप्पणी:
बहुत खूब
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