जलेगा दिल
फिर दीवाली पर
माटी से दूर।
देकर साँसें
करे जग रोशन
दीया बेचारा।
दीप सजाएँ
स्नेह और प्रेम के
दीपावली में।
नेह चिराग
जलाकर रखना
घर-घर में।
जल उठेंगे
निर्दोष शलभ भी
इन दीपों से।
चीरता गया
अँधियारे का सीना
पावन दीया।
सच्ची दीवाली
जो पोंछ डाले आँसू
गरीबी के भी।
आँख के आँसू ,
उदर की आग को
डस लें दीये।
भावना जी दिवाली कि ढेरों सारी बधाई और शुभ कामना !
मेरी तरफ़ से भी सीधी सादी और मीठी सी शुभकामना दीवाली की...
बहुत सुंदर कविता। शुभसंदेश। आपको भी दिवाली की मंगलशुभकामनाएं ।ब्लाग का नया रंग-रूप निखरा-निखरा सा लग रहा है।
SUNDAR RACHNA
सुँदर कविता !आपके समस्त परिवार जनोँ को दीपावली की शुभ कामनाएँस स्नेह, लावण्या
एक टिप्पणी भेजें
6 टिप्पणियां:
भावना जी दिवाली कि ढेरों सारी बधाई और शुभ कामना !
मेरी तरफ़ से भी सीधी सादी और मीठी सी शुभकामना दीवाली की...
बहुत सुंदर कविता। शुभसंदेश। आपको भी दिवाली की मंगलशुभकामनाएं ।
ब्लाग का नया रंग-रूप निखरा-निखरा सा लग रहा है।
SUNDAR RACHNA
सुँदर कविता !
आपके समस्त परिवार जनोँ को दीपावली की शुभ कामनाएँ
स स्नेह, लावण्या
सुँदर कविता !
आपके समस्त परिवार जनोँ को दीपावली की शुभ कामनाएँ
स स्नेह, लावण्या
एक टिप्पणी भेजें