16 जून 2008

एक बार फिर खिले फूल



पर... क्या... इनकी खुशबू आप दोस्तों के बिना कुछ मायने रखती है? बिल्कुल नहीं तो फिर आईये ना... बस थोड़ा सा कष्ट कीजियेगा... और इस लिंक को क्लिक कीजियेगा और अपनी राय जरूर दीजियेगा... आपकी राय के बिना इन फूलों का महत्त्व ही क्या...
रचना यहाँ भी पढ़ी जा सकती है http://www.anubhuti-hindi.org/sankalan/kachnar/bhawna_kunwar.htm

भावना कुँअर

14 टिप्‍पणियां:

डॉ .अनुराग ने कहा…

phool hamesha khoobsurat hote hai....

रंजू भाटिया ने कहा…

सुंदर कचनार के सुंदर लिखे गए लफ्ज़

नीरज गोस्वामी ने कहा…

भावना जी
जितने सुंदर फूल उतनी ही सुंदर रचना...एक से बढ़ कर एक...वाह .
नीरज

बेनामी ने कहा…

bahut hi khubsurat hai

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत उम्दा हाईकु फूलों की महक लिये हुए. बधाई.

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

अनुराग जी फूल तो होते ही खूबसूरत हैं मगर फूलों पर लिखी रचना आपको कैसी लगी ये आपने नहीं लिखा क्या लिंक खुलने में कोई परेशानी आ रही है ?

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

रंजू जी ,नीरज जी, महक जी और समीर जी आप सबका रचना पंसद करने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद स्नेह बनाये रखियेगा...

अजित वडनेरकर ने कहा…

डॉक्टर साहिबा, फूलों की महक हम तक पहुंच रही है।
आभार...

Unknown ने कहा…

फूलों का स्वभाव खिलना और खुशबू बिखेरना है. पर इंसान का स्वभाव.......?

Dr. Chandra Kumar Jain ने कहा…

सुंदर फूल दिखे, रचना नहीं.
लेकिन ये फूल जिसकी रचना हैं
उसे नमन करने का मन हो गया.
समझिए रचना भी हो गई.
वैसे भी आपके ये फूल स्वयं बोल रहे हैं,
इन पर कुछ बोलने की नहीं,
इन्हें सुनने की ज़रूरत है..... है न ?
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बधाई
डा.चन्द्रकुमार जैन

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

चंद्रकुमार जी क्या लिंक नहीं खुल पाया?

अगर लिंक खुलने में कोई परेशानी हो रही है तो यहाँ भी देख सकते हैं http://www.anubhuti-hindi.org/sankalan/kachnar/bhawna_kunwar.htm

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

अजित जी, सुरेश जी ब्लॉग पर आने का शुक्रिया...
रचना यहाँ पढ़ी जा सकती है http://www.anubhuti-hindi.org/sankalan/kachnar/bhawna_kunwar.htm

Dr. Chandra Kumar Jain ने कहा…

वृक्ष के तले
कचनार के फूल
बिछौना बने
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आज अनुभूति में पढी रचना.
कविता की इस विधा को
एक दौर में
अज्ञेय जी ने बखूबी समझाया था.
आपका सृजन भाव पूरित है.
बधाई
डा.चन्द्रकुमार जैन

बेनामी ने कहा…

बहुत ही सुंदर हाइकु हैं। एक से एक बढ़ कर।
दुपहरी में
खिले ये कचनार वादी में जब
खिले हों कचनार
झूमे अम्बर।
शिशु समान।
बहुत ही अच्छे लगे।