पर... क्या... इनकी खुशबू आप दोस्तों के बिना कुछ मायने रखती है? बिल्कुल नहीं तो फिर आईये ना... बस थोड़ा सा कष्ट कीजियेगा... और इस लिंक को क्लिक कीजियेगा और अपनी राय जरूर दीजियेगा... आपकी राय के बिना इन फूलों का महत्त्व ही क्या...
रचना यहाँ भी पढ़ी जा सकती है http://www.anubhuti-hindi.org/sankalan/kachnar/bhawna_kunwar.htm
भावना कुँअर
भावना कुँअर
14 टिप्पणियां:
phool hamesha khoobsurat hote hai....
सुंदर कचनार के सुंदर लिखे गए लफ्ज़
भावना जी
जितने सुंदर फूल उतनी ही सुंदर रचना...एक से बढ़ कर एक...वाह .
नीरज
bahut hi khubsurat hai
बहुत उम्दा हाईकु फूलों की महक लिये हुए. बधाई.
अनुराग जी फूल तो होते ही खूबसूरत हैं मगर फूलों पर लिखी रचना आपको कैसी लगी ये आपने नहीं लिखा क्या लिंक खुलने में कोई परेशानी आ रही है ?
रंजू जी ,नीरज जी, महक जी और समीर जी आप सबका रचना पंसद करने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद स्नेह बनाये रखियेगा...
डॉक्टर साहिबा, फूलों की महक हम तक पहुंच रही है।
आभार...
फूलों का स्वभाव खिलना और खुशबू बिखेरना है. पर इंसान का स्वभाव.......?
सुंदर फूल दिखे, रचना नहीं.
लेकिन ये फूल जिसकी रचना हैं
उसे नमन करने का मन हो गया.
समझिए रचना भी हो गई.
वैसे भी आपके ये फूल स्वयं बोल रहे हैं,
इन पर कुछ बोलने की नहीं,
इन्हें सुनने की ज़रूरत है..... है न ?
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बधाई
डा.चन्द्रकुमार जैन
चंद्रकुमार जी क्या लिंक नहीं खुल पाया?
अगर लिंक खुलने में कोई परेशानी हो रही है तो यहाँ भी देख सकते हैं http://www.anubhuti-hindi.org/sankalan/kachnar/bhawna_kunwar.htm
अजित जी, सुरेश जी ब्लॉग पर आने का शुक्रिया...
रचना यहाँ पढ़ी जा सकती है http://www.anubhuti-hindi.org/sankalan/kachnar/bhawna_kunwar.htm
वृक्ष के तले
कचनार के फूल
बिछौना बने
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आज अनुभूति में पढी रचना.
कविता की इस विधा को
एक दौर में
अज्ञेय जी ने बखूबी समझाया था.
आपका सृजन भाव पूरित है.
बधाई
डा.चन्द्रकुमार जैन
बहुत ही सुंदर हाइकु हैं। एक से एक बढ़ कर।
दुपहरी में
खिले ये कचनार वादी में जब
खिले हों कचनार
झूमे अम्बर।
शिशु समान।
बहुत ही अच्छे लगे।
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