बहुत लम्बे अर्से के बाद इतने अच्छे हाइकु पढ़ने को मिले । नई उद्भावना , नी कल्पना और भाशा का निखरा-निखरा रूप। सभी कुछ सन्तुलित और पूरी तरह अनुस्यूत । मुझे तो सारे ही हाइकु अच्छे लगे । हाइकु क्या कहें पूरे शब्द-चित्र ! दौड़ लगाएँ धूप के खरगोश हाथ न आएँ। [धूप का सुन्दर दृश्य बिम्ब और साथ ही मान्वीकरण भी] X लगाए आस सूखती हुई घास लगी थी प्यास। [ घास को प्यास लगना ! बहुत सार्थक चित्रण] X वर्षा जो आई धूप के खरगोश दूर जा बैठे। [ यहाँ वर्षा आने पर धूप के खरगोशों की दूसरी स्थिति सामने आती है। ] X घास के जैसे हैं उगती इच्छाएँ हाथ न आएँ ।[ सच कहा आपने इच्छाएँ भी घास की तरह जाने-अनजाने उगती ही रहती हैं।इस तरह के हाइकु से हिन्दी की गरिमा बढ़ेगी । हार्दिक बधाई!
11 टिप्पणियां:
घास के जैसे
हैं उगती इच्छाएँ
हाथ न आएँ।
-एक संपूर्ण दर्शन...
बहुत लम्बे अर्से के बाद इतने अच्छे हाइकु पढ़ने को मिले । नई उद्भावना , नी कल्पना और भाशा का निखरा-निखरा रूप। सभी कुछ सन्तुलित और पूरी तरह अनुस्यूत । मुझे तो सारे ही हाइकु अच्छे लगे । हाइकु क्या कहें पूरे शब्द-चित्र ! दौड़ लगाएँ
धूप के खरगोश
हाथ न आएँ।
[धूप का सुन्दर दृश्य बिम्ब और साथ ही मान्वीकरण भी]
X
लगाए आस
सूखती हुई घास
लगी थी प्यास।
[ घास को प्यास लगना ! बहुत सार्थक चित्रण]
X
वर्षा जो आई
धूप के खरगोश
दूर जा बैठे।
[ यहाँ वर्षा आने पर धूप के खरगोशों की दूसरी स्थिति सामने आती है। ]
X
घास के जैसे
हैं उगती इच्छाएँ
हाथ न आएँ
।[ सच कहा आपने इच्छाएँ भी घास की तरह जाने-अनजाने उगती ही रहती हैं।इस तरह के हाइकु से हिन्दी की गरिमा बढ़ेगी । हार्दिक बधाई!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ...
haiku ki gazab duniya
do ek aakhar
jo suno to ye hain duniya
आपके हाइकू कमाल के हैं |
सुन्दर प्रस्तुति!
शब्द और तस्वीरों का सामंजस्य!
जीवन दर्शन समझा दिया।
बेहतरीन अभिवयक्ति......
जितनी सुन्दर रचना उतने ही सुन्दर चित्र ...
राकेश खंडेलवाल
लिखी गज़ल गीतों ने जब छन्दों की भाषामें
नये पृष्ठ जुड़ गये कई मन की अभिलाषा में
bahut sunder haiku
khoobsurat bimb
धूप के खरगोश
**********
घास को प्यास
********
घास के जैसे
हैं उगती इच्छाएँ
हाथ न आएँ
dil ko chu gae sabhi haiku
hardeep
सुन्दर प्रस्तुति, सुन्दर भाव ,
सरल और सुन्दर रचना.
एक टिप्पणी भेजें