सरस्वती सुमन का अक्तुबर -दिसम्बर अंक ‘मुक्तक विशेषांक’ के रूप मेंअब तक प्रकाशित किसी भी पत्रिका का सबसे बड़ा विशेषांक है । इसमें भारत और देशान्तर के लगभग 300 रचनाकर सम्मिलित किए गए हैं।इस अंक में 6 साहित्यकारों के हाइकु मुक्तक भी दिए गए हैं; जिनमें , भावना कुँअर ,डॉ हरदीप सन्धु आस्ट्रेलिया से, रचना श्रीवास्तव , संयुक्त राज्य अमेरिका से और तीन भारत से हैं। डॉ0 भावना कुँअर का हाइकु मुक्तक यहाँ दिए जा रहा है-
प्रस्तुति -रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
डॉ0 भावना कुँअर
फूल खिलता/ कुछ भी न कहता / गुनगुनाता
धूप सहता / कभी मौन रहता / है मुस्कुराता
भ्रमर आते/ रसपान करते/ डंक चुभाते
खुशबू देता/ जरा न कतराता/ तोड़ा ही जाता।
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2 टिप्पणियां:
Namaskar...
Haiku na aate humko..
Fir bhi kahte hain...
Hamen achhe lagte hain...
Meri shubhkamnayen sweekar karen...
Deepak Shukla..
Bhawna ji,
sarsvati suman main chapne ke leye bahut bhadhai !
hardeep
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