मैं अपनी एक पुरानी रचना के साथ आप सभी को हिंदी दिवस की ढेरों शुभकामनाएँ देती हूँ। पिछले दिनों कुछ ऐसी व्यस्तता रही कि ब्लॉग से दूरियाँ बनी रही लेकिन आप लोगों से दूरियाँ कभी नहीं हो सकती हमेशा ही अपने पाठकों कों,सह्रदयों को केक खिलाने का सोचती रही, आप कह सकते हैं कि बनने में कुछ ज्यादा ही वक्त लग गया। जी हाँ आपने सही पहचाना ६ अगस्त २००६ में शुरुआत हुई थी "दिल के दरमियाँ" की, आप सबके स्नेह, सहयोग, अपनत्व के कारण अपने ६ साल पूरे करके ७वें में प्रवेश कर गया है, और इंतज़ार कर रहा है एक पीस केक खाने का और थोड़ी सी आप सबकी शुभकामनाओं का...
हिन्दी का परचम
सब मिलकर आज, कसम
ये खायें
हिन्दी को उच्च
स्थान दिलायें ।
लगे प्रचार में हम सब मिलकर
ऐसा ही इक प्रण
निभायें ।
पूरब, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण
हिन्दी का परचम
लहरायें।
इस भाषा के चाहने वालों
यादगार ये दिवस
बनायें।
दुनिया भर के हिन्दी भाषी
इसको नत मस्तक हो
जायें।
Bhawna
7 टिप्पणियां:
एक यादगार रचना |हिंदी दिवस की बधाई और शुभकामनाएं |आभार
भावना जी आप तो भारत से बाहर यह पताका फ़हरा रही हैं ।आप इस कार्य को और आगे बढ़ाती रहेंगी । आपसे हमको बहुत आशाएँ हैं , कुछ न कुछ नया सर्जन करते रहिए ! मेरी शुभकामनाएँ !!
ब्लॉग के जन्मदिन की बधाई ... सुंदर रचना ... एक आह्वान के साथ
Chahe jitna ham Hindi ka prachaar kar len, Angrezee hee badhtee ja rahee hai.
aapko bhi bahut badhai bahan
rachana
हिंदी दिवस को साएर्थक करती प्रस्तुति ...
ब्लॉग के ६ वर्ष पूरे होने पे बधाई ...
हार्दिक शुभकामनाएँ भावना जी....
सुन्दर कविता और ब्लॉग के जन्मदिन..दोनों के लिए...
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