12 नवंबर 2012

असंख्य दीए सभी मेरे अपनों के जीवन में अखंड ज्योति की तरह जगमगाएँ इन्हीं शुभकामनाओं के साथ-


लो गई  एक और दीपावली, कुछ खट्टीमीठी, पुरानी यादों को लेकर जुड़े होंगे कुछ दिल पिछली दीपावली, तो कुछ टूटे भी  होंगे,कुछ बिछड़े होंगे तो कुछ मिलें भी होंगे,कहीं खूब जगमगाएँ होंगे कुछ दिए, तो कहीं टिमटिमाएँ भर होंगे, उन्हीं जज्बों को ले कुछ दीए "दिल के दरमियाँ" द्वारा  कुछ ऐसे-

सेदोका के दीए

सूखा दीपक
भरा था लबालब
तुम्हारी ही यादों से
जो जल उठा
सँभाला जिसे वर्षों
बड़े ही जतन से।
 

रोशन होता
एक और दीपक
इस दीपावली में
हवा का झोका
उड़ा ले गया संग
जाने क्यूँ बेख्याली में।


मिलके साथ
हमने थे सजाए
प्यार की रोशनी से
हजारों दीए
समेटतें हैं अब
किरचों को दर्द की।

डॉ० भावना कुँअर



7 टिप्‍पणियां:

विभूति" ने कहा…

मन के भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने.....आपको भी दीपावली की बहुत शुभकामनायें।

Bharat ने कहा…

दीपावली मंगलमय हो
...
कवितायेँ सब अच्छी हैं , लेकिन, ..
मिलके साथ
हमने थे सजाए
प्यार की रोशनी की
हजारों दीए
समेटतें हैं अब
किरचों को दर्द की। ... बहुत सुंदर

Udan Tashtari ने कहा…

आप और आपके परिवार को दीपावली की अनेक मंगलकामनाएँ....
-समीर लाल ’समीर’

सहज साहित्य ने कहा…

दीपावली के पावन पर्व पर इतने भावपूर्ण सेदोका पढ़कर मन प्रफुल्लित हो उठा । इस अवसर पर आप को सपरिवार कोटिश: बधाई ! आप सबके जीवन में सदा आलोक फैलता रहे !

ज्योतिषाचार्य ललित मोहन कगड़ियाल,, ने कहा…

जिंदगी रोशन है तुम्हारी ,तो हमारी भी बेनूर नहीं
हम भी हर रोज दिल जलाते हैं ,हमारी भी हर रात दिवाली है।
कभी कभी वाकई इस मौके पर कई पुराने दर्द उभर आते हैं।सुन्दर रचना .............

Sushil Kumar ने कहा…

भावमयी क्षणिकाएँ | बधाई|

Jyoti khare ने कहा…

मिलके साथ
हमने थे सजाए
प्यार की रोशनी से
हजारों दीए
समेटतें हैं अब
किरचों को दर्द की।----jeevan ke darad ki katha