लो आ गई एक और दीपावली, कुछ खट्टी –मीठी, पुरानी
यादों को लेकर जुड़े होंगे कुछ दिल पिछली दीपावली, तो कुछ टूटे भी होंगे,कुछ बिछड़े
होंगे तो कुछ मिलें
भी होंगे,कहीं खूब जगमगाएँ होंगे
कुछ दिए, तो कहीं
टिमटिमाएँ भर होंगे, उन्हीं
जज्बों को ले कुछ
दीए "दिल के दरमियाँ" द्वारा कुछ ऐसे-
सेदोका के दीए
भरा था लबालब
तुम्हारी ही यादों से
जो जल उठा
सँभाला जिसे
वर्षों
बड़े ही जतन से।
रोशन
होता
एक
और दीपक
इस
दीपावली में
हवा
का झोका
उड़ा
ले गया संग
जाने
क्यूँ बेख्याली में।
मिलके
साथ
प्यार
की रोशनी से
हजारों
दीए
समेटतें
हैं अब
किरचों
को दर्द की।
डॉ०
भावना कुँअर
7 टिप्पणियां:
मन के भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने.....आपको भी दीपावली की बहुत शुभकामनायें।
दीपावली मंगलमय हो
...
कवितायेँ सब अच्छी हैं , लेकिन, ..
मिलके साथ
हमने थे सजाए
प्यार की रोशनी की
हजारों दीए
समेटतें हैं अब
किरचों को दर्द की। ... बहुत सुंदर
आप और आपके परिवार को दीपावली की अनेक मंगलकामनाएँ....
-समीर लाल ’समीर’
दीपावली के पावन पर्व पर इतने भावपूर्ण सेदोका पढ़कर मन प्रफुल्लित हो उठा । इस अवसर पर आप को सपरिवार कोटिश: बधाई ! आप सबके जीवन में सदा आलोक फैलता रहे !
जिंदगी रोशन है तुम्हारी ,तो हमारी भी बेनूर नहीं
हम भी हर रोज दिल जलाते हैं ,हमारी भी हर रात दिवाली है।
कभी कभी वाकई इस मौके पर कई पुराने दर्द उभर आते हैं।सुन्दर रचना .............
भावमयी क्षणिकाएँ | बधाई|
मिलके साथ
हमने थे सजाए
प्यार की रोशनी से
हजारों दीए
समेटतें हैं अब
किरचों को दर्द की।----jeevan ke darad ki katha
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