सहृदय और सच्चा व्यक्ति सदा दूसरों के दु:ख से दुखी होता है । हृदय की यह उदात्तता उसे और लोगों से अलग करती है। इसीलिए तुलसी ने कहा है परहित सरिस धर्न नहीं भाई । परपीड़ा सम नहीं अधमाई । भावना जी का प्राणिमात्र से प्रेम उनको और उनकी कविता को ऊंचाई प्रदान करते हैं।
3 टिप्पणियां:
सहृदय और सच्चा व्यक्ति सदा दूसरों के दु:ख से दुखी होता है । हृदय की यह उदात्तता उसे और लोगों से अलग करती है। इसीलिए तुलसी ने कहा है परहित सरिस धर्न नहीं भाई । परपीड़ा सम नहीं अधमाई । भावना जी का प्राणिमात्र से प्रेम उनको और उनकी कविता को ऊंचाई प्रदान करते हैं।
बहुत भावपूर्ण..बधाई.
वाह...बहुत बढ़िया प्रस्तुति...आप को मेरी ओर से नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं...
नयी पोस्ट@एक प्यार भरा नग़मा:-कुछ हमसे सुनो कुछ हमसे कहो
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