9 दिसंबर 2013

हिन्दी दैनिक-"विधान केसरी" में मेरी एक रचना
































































Bhawna

3 टिप्‍पणियां:

सहज साहित्य ने कहा…

सहृदय और सच्चा व्यक्ति सदा दूसरों के दु:ख से दुखी होता है । हृदय की यह उदात्तता उसे और लोगों से अलग करती है। इसीलिए तुलसी ने कहा है परहित सरिस धर्न नहीं भाई । परपीड़ा सम नहीं अधमाई । भावना जी का प्राणिमात्र से प्रेम उनको और उनकी कविता को ऊंचाई प्रदान करते हैं।

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत भावपूर्ण..बधाई.

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' ने कहा…

वाह...बहुत बढ़िया प्रस्तुति...आप को मेरी ओर से नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं...

नयी पोस्ट@एक प्यार भरा नग़मा:-कुछ हमसे सुनो कुछ हमसे कहो