28 मई 2018

बस यादें

आज बहुत दिनों बात ब्लॉग पर आना हुआ पर अब कोशिश रहेगी कि निरन्तर आती रहूँ आप सबका पहले की तरह ही स्नेह मिलेगा इस आशा से फिर से एक बार नई शुरुआत करती हूँ,पढियेगा मेरा संस्मरण उदन्ती में...

http://www.udanti.com/2018/05/blog-post_96.html







































Bhawna

3 टिप्‍पणियां:

rameshwar kamboj ने कहा…

आपका संस्मरण बहुत प्रभावी और रोमांचक है . इस विधा में भी आपको महारत हासिल है. इस संस्मरण की सबसे बड़ी विशेषता है , पाठक को बाँध कर रखना , उसकी जिज्ञासा को बनाए रखना , रोचकता का निर्वाह करना . आप पूरी तरह इसमें सफल रही हैं . हार्दिक बधाई . और भी लिखिए . व्यर्थ का शब्दजाल नहीं इसमें . कुछ लेखक इसी में उलझकर विधा को गर्क कर देते हैं .

सहज साहित्य ने कहा…

आपका संस्मरण बहुत प्रभावी और रोमांचक है . इस विधा में भी आपको महारत हासिल है. इस संस्मरण की सबसे बड़ी विशेषता है , पाठक को बाँधकर रखना , उसकी जिज्ञासा को बनाए रखना , रोचकता का निर्वाह करना . आप पूरी तरह इसमें सफल रही हैं . हार्दिक बधाई! और भी लिखिए . व्यर्थ का शब्दजाल नहीं इसमें . कुछ लेखक इसी में उलझकर विधा को गर्क कर देते हैं .
रामेश्वर काम्बोज

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

Bahut bahut aabhar kamboj ji itni vistret tipanni ke liye...