मझदार में
एक नाव थी फँसी
सवार आया
देख वो घबराया
नाव को लेके
था किनारे लगाया ।
बना गहरा
मधुर,विलक्षण
प्यारा सा रिश्ता ।
कितने सफ़र थे
संग में किए
वो सपने सारे ही
साकार हुए ।
काँटों की राह चले
पीछे ना हटे ।
छूट गए सारे ही
सगे संबंधी ।
मासूम वो सवार
बड़ा नादान
छल-कपट भरी,
बेदर्द इस
दुनिया से अन्ज़ान ।
बाज़ सा आया
इक नया सवार
उसे कहाँ था
भला इसका ज्ञान।
ले गया नाव
वो दूर देश कहीं
दोनों हैं खुश
तिल-तिल मरता
आँसू है पीता
पर चुप रहता
कभी झील को
मझदार को कभी
यूँ अपलक
निहरता रहता
वो पुराना सवार।
Dr.Bhawna Kunwar
12 टिप्पणियां:
बहुत सुंदर सृजन
बहुत ही उम्दा चोका लिखा है आपने
बहुत सुंदर चोका भावना जी... हार्दिक बधाई
बहुत भावपूर्ण चोका।
डॉ भावना जी, हार्दिक बधाई, सुन्दर सृजन हेतु ।
बहुत ही उम्दा चोका
एक नदी सी बहती हुई
हार्दिक बधाई
Bahut bahut aabhar kamboj ji.
सुन्दर प्रस्तुति !
बहुत प्यारी तथा भावपूर्ण रचना भावना जी !
बहुत सुंदर, भावपूर्ण चोका
बहुत सुंदर !
Aap sabhi ki hradya se aabhari hun rachna pasand karne or tippani karne ke liye...bahut bahut aabhar..
बहुत सुंदर भावपूर्ण चोका
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