28 फ़रवरी 2007

हाज़िर हैं एक ब्रेक के बाद राकेश जी के लिये:

राकेश जी आपके प्रश्नों के उत्तर कविता में ही देने का एक छोटा सा प्रयास किया है-

प्रश्न १- क्यों लिखते हो?

उमड़-घुमड़कर भाव हृदय के
शब्द रूप जब लेते हैं
तभी लेखनी को संग लेकर
काग़ज़ पर रच देते हैं।


प्रश्न २-क्या लिखने को प्रेरित करता?

दुखी व्यवस्था व दानवता
देख कवि मन रोता है
हो प्रेरित उन सबसे ही फिर
शब्द बेल को बोता है।


प्रश्न ३-कला पक्ष से भाव पक्ष का कितनी दूर रहा है रिश्ता?

कलापक्ष से भावपक्ष का
रिश्ता बहुत ही गहरा है
बिना भाव के सूनी रचना
जैसे पानी ठहरा है।


प्रश्न ४-कितना तुम्हें जरूरी लगता,लिखने से ज्यादा पढ़ पाना?

लिखने से ज्यादा पढ़ पाना
ज्ञान में वर्धन करता है
अच्छी रचनाओं को पढ़कर
लेखन साथ निखरता है।



प्रश्न ५-मनपसंद क्यों विधा तुम्हारी, और किताबों का गुलदस्ता?

बाल्यकाल से ही मुझ पर तो
कविताओं का रहा प्रभाव
'कामायनी' व 'मधुशाला' से
सदा रहा है बहुत लगाव।


और जैसी की प्रथा है मैं भी प्रथा का पालन करते हुये कुछ प्रश्न निम्न सदस्यों से पूछना चाहूँगी-

प्रश्न १- साहित्यिक जगत से जुड़ा हुआ कोई अनुभव बतायें?
प्रश्न २- किस साहित्यिक विभूति से मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ और मिलने की इच्छा रही?
प्रश्न ३- किस उम्र के पड़ाव से लिखना प्रारम्भ किया और क्यों?
प्रश्न ४- होली उल्लास को लिये हुये आपके दरवाजे पर दस्तक दे रही है उस सन्दर्भ में कुछ लिखें?
प्रश्न ५- युवा वर्ग में अपनी भारतीय संस्कृति को जीवित बनाये रखने एवं उनमें साहित्यिक अभिरुचि पैदा करने के लिये क्या प्रयास होने चाहियें?
प्रश्न ६- अपनी रुचि की ५ साईट जो ब्लॉग से अलग हों बतायें?

जिनको प्रश्नों के उत्तर देने हैं वो हैं-

१- अनूप भार्गव जी

२- अनुराग मिश्रा जी

३- शैलेश भारतवासी जी

४- सोनल जी

५- नीरज दीवान जी

9 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

संक्षिप्त, काव्यात्मक और सटीक, बस इन तीन शब्दों के साथ अपनी संपूर्ण बधाई प्रेषित करता हूँ. :)

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

समीर जी बहुत-बहुत शुक्रिया आपको हमारा लेखन पंसद आया। स्नेह बनाये रखियेगा।

राकेश खंडेलवाल ने कहा…

सूझ बूझ कर तोल तोल कर भावों को शब्दों में ढाला
मन के रत्नाकर से सुन्दर यह कविता का सोम निकाला
सही आप पहचाने पढ़ना, लिखने को होता आवश्यक
गहरे भावों को छलकाया, बने कलम जब जब मधुशाला.
आपके विशिष्ट अंदाज़ के उत्तर के लिये साधुवाद

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

राकेश जी आपको जवाब पसंद आये तो हमारी लेखनी धन्य हो गयी। आभारी हूँ। अपना स्नेह यूँ ही बनाये रखिये। आपका कवितामय जवाब हमेशा की तरह प्रभावित कर गया। बहुत-बहुत धन्यवाद।

Sagar Chand Nahar ने कहा…

आपने बोल्ड कर लिखा पर किसी को दिखा नहीं और आपको बधाई नहीं दी।
बहुत देरी से ही सही पर मेरी तरफ से आपके विवाह की मुबारकबाद स्वीकार करिये।:)
भगवान आपकी जोड़ी सलामत रखे।

Sagar Chand Nahar ने कहा…

आपने बोल्ड कर लिखा पर किसी का ध्यान नहीं गया लीजिये हमारा ध्यान गया इसलिये आपको, आपके विवाह की वर्षगाँठ की मुबारकबाद देते हैं।
भगवान आपकी जोडी सलामत रखे:)

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

सागर जी बधाई के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद। परन्तु ऐसा नहीं है कि हमें बधाई न दी हो किसी ने, आप नीचे वाली पोस्ट पर देखियेगा कल यानि कि २७ फरवरी को सबसे पहले बधाई देने वाले थे राकेश जी, समीर जी और आज श्रीश जी, संजय जी,लावन्या जी और आप। बधाई चाहे देर से मिले या जल्दी मिल जाये तो खुशी ही होती है और आपका ध्यान भी बोल्ड पर गया आभारी हूँ। उस दिन बहुत व्यस्त रहे हम लोग पर आप लोगो की बधाई पाकर सारी थकान सारी व्यवस्तता भूल गये।आप लोगों का बार-बार शुक्रिया।

Divine India ने कहा…

जिस भाषा में प्रश्न पुछा गया, इससे अच्छी
भाषा में दिया भी नहीं जा सकता था…
समां बांध कर छोटे वाक्यांशों में ही
अपनें व्यक्तित्व को उभार दिया…।बधाई!!!
शायद राकेश जी की तरह मैं उत्तर नहीं दे पाया
पर आप तो बिल्कुल पास हो गयीं!!

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

प्रोत्साहन के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।