एक चिड़िया
आयी फुदकती सी
नाज़ुक सी, चंचल सी
अपनी मस्ती में मस्त सी
बेपरवाह
स्वछन्द
अनभिज्ञ सी
अपनी सपनों की दुनिया में
खोई सी
अचानक रुकी
डरी, सहमी
भय से
विस्फरित आँखें
एक झटका सा लगा
और कदम वहीँ रुक गए
साहस जुटाया
पर धैर्य टूट गया
बचना चाहा
पर गिर पड़ी
साँसे बिखरने लगीं
शरीर बेज़ान होने लगा
पल भर में ही
सारी चंचलता, कोमलता
नष्ट हो गयी
न जुटा पायी साहस
उस दीर्घकाय परिंदे से
खुद को बचाने का।
आयी फुदकती सी
नाज़ुक सी, चंचल सी
अपनी मस्ती में मस्त सी
बेपरवाह
स्वछन्द
अनभिज्ञ सी
अपनी सपनों की दुनिया में
खोई सी
अचानक रुकी
डरी, सहमी
भय से
विस्फरित आँखें
एक झटका सा लगा
और कदम वहीँ रुक गए
साहस जुटाया
पर धैर्य टूट गया
बचना चाहा
पर गिर पड़ी
साँसे बिखरने लगीं
शरीर बेज़ान होने लगा
पल भर में ही
सारी चंचलता, कोमलता
नष्ट हो गयी
न जुटा पायी साहस
उस दीर्घकाय परिंदे से
खुद को बचाने का।
डा ० भावना
12 टिप्पणियां:
अच्छी रचना है।
सारी चंचलता, कोमलता
नष्ट हो गयी
न जुटा पायी साहस
उस दीर्घकाय परिंदे से
खुद को बचाने का।
एसा लगा कि जैसे कविता की ये पंक्तियाँ कुछ कहना चाह्ती हैं
सारी चंचलता, कोमलता
नष्ट हो गयी
न जुटा पायी साहस
उस दीर्घकाय परिंदे से
खुद को बचाने का।
एक दर्द से सिमटी आपकी रचना बेहद गम्भीर और सजीव लग रही है...
एक अंतराल के बाद आपकी रचना पढ़ी.
भावनात्मक गहराई अच्छी लगी.
बेबसी का सार्थक चित्रण, बधाई.
भावना बहन !
नज़्म की सी गंध देती आपकी
कविता का क्लाइमेक्स मर्मस्पर्शी है.
सा धु वा द
sanjaypatel1961@gmail.com
सुंदर भाव और संवेदना लिये है आपका चित्रण ...बधाई
परमजीत जी बहुत-बहुत धन्यवाद । स्नेह बनाये रखियेगा।
एसा लगा कि जैसे कविता की ये पंक्तियाँ कुछ कहना चाह्ती हैं.....
सही पहचाना शानू जी आपने, बहुत-बहुत धन्यवाद रचना पसंद करने के लिये,आगे भी पढ़ते रहियेगा , प्रोत्साहन मिलता है।
बहुत-बहुत धन्यवाद
राकेश जी बहुत दिनों बाद आपको अपने ब्लॉग पर देखकर अच्छा लगा, प्रोत्साहन के लिये धन्यवाद।
समीर जी रचना के भाव समझने के धन्यवाद।
संजय जी इतनी अच्छी टिप्पणी देने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद ।
रीतेश जी आपको रचना पसन्द आई उसके लिये बहुत-बहुत शुक्रिया।
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