गाजियाबाद, जागरण संवाद केंद्र
प्रसिद्घ साहित्यकार स्व. सत्यभूषण शर्मा के पचहत्तरवें जन्म दिवस पर हाइकू कवि गोष्ठी का आयोजन कविनगर में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता ओमप्रकाश चतुर्वेदी ने की। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि डा. जगदीश व्योम व विशिष्ट अतिथि बी.एल. गौड़ रहे। इस अवसर पर डा. अंजलि देवधर द्वारा लिखित पुस्तक हाइकू प्रवेशिका (विश्व के बच्चों की हाइकू) व डा. भावना कुंवर की हाइकू संग्रह तारों की चूनर का विमोचन किया।
कार्यक्रम की शुरूआत मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण तथा दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। सरस्वती वंदना अनुराधा भट्ट ने की। मुख्य अतिथि डा. जगदीश व्योम ने कहा कि स्व. सत्यभूषण शर्मा को भारत में हाइकू काव्य विधा के जनक हैं। उन्होंने बताया कि सत्रह अक्षरों में ही हाइकू में कविता निहित होती है। उन्होंने कहाकि आज के दौर में नेट पर विश्व में सबसे ज्यादा हिंदी भाषा पसंद की जा रही है। उन्होंने अपनी हाइकू 'छिड़ा जो युद्घ, रोएगी मानवता, हंसेंगे गिद्घ' के माध्यम से वाहवाही लूटी। गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे ओमप्रकाश चतुर्वेदी ने कहाकि हाइकू को जापानी भाषा में सेन्ड्रयू कहा जाता है। उन्होंने बताया कि जापान के कवि वासो ने भी हाइको एक विराट पूर्णता माना है। उन्होंने अपनी हाइकू 'बोये तुमने, काटने पड़े हमें पीड़ा के खेत' व 'पता न था, अंजाना सफर, कभी अंधा भी होगा' भी सुनाई। संगोष्ठी में मौजूद कवियों ने हाइकू के माध्यम से झकझोरा। व्यापार कर अधिकारी राजनाथ तिवारी ने सुख और दुख पर अपनी हाइकू 'पागल सुख, देता है, एक दिन दारुण दुख' कही तो लोग ताली बजाने लगे। डा. मधु भारती ने अंग्रेजी पर व्यंग्य कसते हुए कहा, देश प्रेमी वे, आंग्ल भाषा में हंसे, हिंदी में रोएं। अंजू जैन ने अपनी हाइकू 'खामोशी सदा हारती नहीं जीतती भी है।' सुनाई। संगोष्ठी के समापन पर संचालक कमलेश भट्ट ने अतिथियों को धन्यवाद दिया। महादेव प्रसाद, जितेंद्र साहू, नेहा बैद, विशारद भट्ट, कुसुम भट्ट, सुमन तिवारी, प्रत्युष यादव की गोष्ठी मौजूदगी उल्लेखनीय रही।
5 टिप्पणियां:
इतनी आसान नहीं जितनी लगती है ये विधा. सीखनी ही पड़ेगी.जो भी मध्यम हो अभिव्यक्ति का अगर बात में दम है तो पसंद आएगी ही. जानकारी और विलक्षण हाईकू पढने का अवसर जो आपने प्रदान किया है उसके लिए धन्यवाद.
नीरज
गिद्ध भी नहीं बचे हैं अब हंसने को । मानव ने उन्हें भी लगभग समाप्त कर दिया है ।
घुघूती बासूती
जी आपने बहुत सही कहा है अब ऐसा ही हो गया है ये हाइकु डॉ० जगदीश वर्मा जी का लिखा हुआ है जो मुझे बहुत पसन्द है शायद जगदीश जी ने ये हाइकु
हाइकु दिवस पर सुनाया होगा तभी तो पेपर की हैड लाईन भी बना है वास्तव में बहुत प्रभावशाली हाइकु है...
नीरज जी आपने सही कहा विधा कोई भी हो अगर बात में दम हो तो अपनानी ही चाहिये, आप ये पुस्तक जरूर पढियेगा मुझे विश्वास है आपको पसन्द आयेगी..धन्यवाद
बधाई एवं शुभकामनाएँ
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