कफन में लिपटे…
अपने बेटे को देख !
माँ का कलेज़ा फट पड़ा !
आँसू आँख से नहीं
दिल से बहे थे…
ऊँगलियाँ थी कि…
उसके चेहरे से
नहीं हटती…
मुँह से बस यही
आवाज़ निकली !
वाह मेरे लाल !
मुझे नाज़ है तुझ पर
बचा लिया तूने कितनी ही…
माँ की गोद को उज़ड़ने से…
बचा लिया तूने कितनी ही…
पत्नियों के मांग का सिंदूर…
किसी पिता का दुलार !
किसी घर का अकेला चिराग !
जो नहीं बच सके उनके लिये …
रोता है मेरा दिल…
मेरे लाल !
तू फिर आना…
अगले जन्म में भी तू
मेरी ही कोख से जन्म लेना…
फक्र है मुझे तुझ पे !
अपने बेटे को देख !
माँ का कलेज़ा फट पड़ा !
आँसू आँख से नहीं
दिल से बहे थे…
ऊँगलियाँ थी कि…
उसके चेहरे से
नहीं हटती…
मुँह से बस यही
आवाज़ निकली !
वाह मेरे लाल !
मुझे नाज़ है तुझ पर
बचा लिया तूने कितनी ही…
माँ की गोद को उज़ड़ने से…
बचा लिया तूने कितनी ही…
पत्नियों के मांग का सिंदूर…
किसी पिता का दुलार !
किसी घर का अकेला चिराग !
जो नहीं बच सके उनके लिये …
रोता है मेरा दिल…
मेरे लाल !
तू फिर आना…
अगले जन्म में भी तू
मेरी ही कोख से जन्म लेना…
फक्र है मुझे तुझ पे !
Dr.Bhawna
18 टिप्पणियां:
aapki bhawnaaon ne gahre tak hila diya.nice one
ALOK SINGH "SAHIL"
hame bhi phakra he ise beto par... salaam.. jai bhaarat..
शत्-शत नमन शहीदो को,और आपकी कलम को भी सलाम.
शत्-शत नमन शहीदो को,और आपकी कलम को भी सलाम.
मैं नमन करती हूं उन सभी शहीदों को जिन्होंने हमारी सुख शान्ति के लिये अपनी जान की बाजी लगायी है।
narayan narayan
नमन जांबाज नायकों को..हार्दिक श्रृद्धांजलि...इस रचना के भावों को सलाम!!!
अगले जन्म में भी तू
मेरी ही कोख से जन्म लेना…
फक्र है मुझे तुझ पे !
...इस दौर में हम साथ-साथ. गुस्सा और शोक सहित.
kya kahuin in shabdon ke baare jo chup hokar bhi bol rahe hain........
aur man hi man khe rahe hain mei aauinga tera beta bankar teri aur desh ki seva ke liye mei amar huin tu maa hai meri tu hi samjhegi is balidaan ko.......
एक दर्पण,दो पहलू और ना जाने कितने नजरिये /एक सिपाही और एक अमर शहीद का दर्पण और एक आवाज
अक्षय,अमर,अमिट है मेरा अस्तित्व वो शहीद मैं हूं
मेरा जीवित कोई अस्तित्व नही पर तेरा जीवन मैं हूं
पर तेरा जीवन मैं हूं
अक्षय-मन
आपने बहुत अच्छा िलखा है । शब्दों में यथाथॆ की अिभव्यिक्त है । मैने अपने ब्लाग पर एक लेख िलखा है । समय हो तो पढें और प्रितिक्रया भी दें -
http://www.ashokvichar.blogspot.com
Bhawna Kunwarji
कफन में लिपटे…
अपने बेटे को देख !
माँ का कलेज़ा फट पड़ा !
आँसू आँख से नहीं
दिल से बहे थे…
accha laga. ..very good wishes to you .hope to see you writing more and more of this kind.please visit my blog HEY PRABHU YEH TERAPATH & "MY BLOG" (http://ctup.blog.co.in) I also want to comment on my blog.
Thank you and god bless you.
शत्-शत नमन शहीदो को और वंदन आपकी भावना को|
vedna ki marmik prastuti.
शहीदो को सलाम हार्दिक श्रृद्धांजलि.
thodi loud hai lekin achchhi kavita hai.
आपके विचार बहुत सुंदर है , आप हिन्दी ब्लॉग के माध्यम से समाज को एक नयी दिशा देने का पुनीत कार्य कर रहे हैं ....आपको साधुवाद !
मैं भी आपके इस ब्लॉग जगत में अपनी नयी उपस्थिति दर्ज करा रही हूँ, आपकी उपस्थिति प्रार्थनीय है मेरे ब्लॉग पर ...!
शहीदो को हार्दिक श्रृद्धांजलि
वाहवा भावना जी प्रासंगिक कविता के लिये साधुवाद स्वीकारें
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