14 अगस्त 2011

वतन से दूर हूँ लेकिन, अभी धड़कन वहीं बसती






      


















वतन से दूर हूँ लेकिन


अभी धड़कन वहीं बसती


वो जो तस्वीर है मन में


निगाहों से नहीं हटती।




बसी है अब भी साँसों में


वो सौंधी गंध धरती की


मैं जन्मूँ सिर्फ भारत में


दुआ रब से यही करती।




बड़े ही वीर थे वो जन


जिन्होंने झूल फाँसी पर


दिला दी हमको आजादी।


नमन शत-शत उन्हें करती।


Bhawna

26 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

शत शत नमन शहीदों को...

उम्दा रचना!!

!!अक्षय-मन!! ने कहा…

mera bhi shat shat naman un sabhi dharti maa suputron ke liye jinhone hamari raksha ke liyee apna balidaan diya....vatan se kitne bhi door ho lekin wo mitti wo apnapan...hamare vatan main hai aur kahin nahi...accha likha aapne....

kshama ने कहा…

Sundar rachana!
Swatantrata Diwas kee anek mangal kamnayen!

vandana gupta ने कहा…

बेहद खूबसूरत रचना।
शहीदो को शत शत नमन्।

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

apki is soch ko naman

aur apki lekhni ko bhi.

bahut sunder rachna.

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत भाव मयी रचना ... वीरों को नमन

अजय कुमार ने कहा…

बहुत खूबसूरत और सामयिक रचना,सुंदर जज्बात।

vijai Rajbali Mathur ने कहा…

स्वाधीनता दिवस की हार्दिक मंगलकामनाएं।

Rachana ने कहा…

bhaut sunder .shahidon ko sada hi naman hai .
rachana

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

कमाल का जज्बा /कमाल की भावनाएं /उत्कृष्ट कविता बधाई डॉ० भावना जी |नमस्ते

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

कमाल का जज्बा /कमाल की भावनाएं /उत्कृष्ट कविता बधाई डॉ० भावना जी |नमस्ते

सहज साहित्य ने कहा…

रूह की बेचैनी -डॉ भावना की यह कविता आज की विषम परिस्थितियों फँसे देश की आत्मा की सही छटपपटाहट है। पाठक रचना के उतार -चढ़ाव में पूरी तरह हो जाता है ।बहुत बधाई भावना जी ! आपकी कलम इसी प्रकार भावों के मोती बिखेरती रहे।

ऋता शेखर 'मधु' ने कहा…

बसी है अब भी साँसों में
वो सौंधी गंध धरती की
मैं जन्मूँ सिर्फ भारत में
दुआ रब से यही करती।

हर एक पंक्ति देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत...
बेहद खूबसूरत रचना|

प्रेम सरोवर ने कहा…

वतन से दूर हूँ लेकिन, अभी धड़कन वहीं बसती के माध्यम से प्रस्तुत कविता मन के भावों को आंदोलित सी कर गयी।धन्यवाद।

Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…

बसी है अब भी साँसों में
वो सौंधी गंध धरती की
मैं जन्मूँ सिर्फ भारत में
दुआ रब से यही करती।

सुन्दर भावाभिव्यक्ति....

जीवन का उद्देश ने कहा…

वतन से दूर हूँ लेकिन

अभी धड़कन वहीं बसती

वो जो तस्वीर है मन में

निगाहों से नहीं हटती

उत्तम रचना जो हृदय को छू गया।
धन्यवाद और बधाई स्वीकार करें।

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…

उत्तम भाव... सुन्दर रचना...
सादर बधाई....

केवल राम ने कहा…

आपकी रचना में देश प्रेम का जज्बा उभर कर सामने आया है ...आपका आभार

Neelkamal Vaishnaw ने कहा…

Bahut khub... Naman hai Desh ke veer saputon ko...
यहाँ शामिल सभी ब्लागर साथियो से आग्रह है की मेरे ब्लाग पर भी जरुर पधारे और वहां से मेरे अन्य ब्लाग पर क्लिक करके वह भी जाकर मेरे मित्रमंडली में शामिल होकर अपनी दोस्तों की कतार में शामिल करें
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हरकीरत ' हीर' ने कहा…

जय हिंद .....!!

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बसी है अब भी साँसों में


वो सौंधी गंध धरती की


मैं जन्मूँ सिर्फ भारत में


दुआ रब से यही करती।


बहुत ही बढ़िया।

सादर

Satish Saxena ने कहा…

बढ़िया रचना ! आप अपना असर छोड़ने में कामयाब हैं .....
शुभकामनायें आपको !

बेनामी ने कहा…

"वतन से दूर हूँ लेकिन
अभी धड़कन वहीं बसती
वो जो तस्वीर है मन में
निगाहों से नहीं हटती।"


बहुत खूब और बहुत-बहुत सुंदर - अमर शहीदों को सादर श्रद्धांजलि

नीलिमा सुखीजा अरोड़ा ने कहा…

sunder rachna

हरदीप ने कहा…

अच्छी रचना ....ऊँची सोच व ख्याल
आपकी कलम यूँ ही शब्द मोती बिखेरती रहे यही दुआ है...
हरदीप

vandana gupta ने कहा…

आपका जिक्र यहाँ भी है ……http://redrose-vandana.blogspot.comये आपकी धरोहर है