बीते वक्त की चादर से
चुरा लिया मैंने एक
सपनों का रंगीन
रेशमी धागा...
और फिर उससे
नये वक्त की पैबंद लगी,
बिखरी-छितरी,टूटी-फटी
चादर को
एक बार फिर से
करने लगी प्रयास
पुराने वक्त की चादर समान
बुनने का ...
जिसमें बहता था
अथाह प्यार का सागर...
जो टिका था
सच्चे सपनों की बुनियाद पर...
और जिसमें
भावों की पवित्र गंगा में
तैरती थी
समर्पण की नाव...
और उस नाव का खिवैया था
सच्चा और पवित्र प्यार...
Bhawna
23 टिप्पणियां:
समर्पण की नाव हो तो किनारे तक ले ही जायेगी!
सुंदर भाव!
बहुत उम्दा एवं भावपूर्ण...आनन्द आया रचना पढ़कर...बधाई.
बहुत मार्मिक और हृदय की गहराइयों से निकली कविता है, जिसमे अतीत की मधुर स्मृतियों को लौटाने का प्रयास करना जीवन के लिए नई आशा जगाना है। इन पंक्तोयों ने गहर असर छोड़ा है-
जिसमें बहता था
अथाह प्यार का सागर...
जो टिका था
सच्चे सपनों की बुनियाद पर...
और जिसमें
भावों की पवित्र गंगा में
तैरती थी
समर्पण की नाव...
और उस नाव का खिवैया था
सच्चा और पवित्र प्यार...
Hi..
Beete vakt ke sapno ko armanon sang piroya hai..
Kavita ko tumne meethe ahsaason sang sanjoya hai..
Beet gaya jo aayega na, guzra vakt kahan thahra..
Vartman ke sapnon par bhi, asar sada hi rahta gahra..
Sundar bhav..
Deepak..
सुन्दर कविता बधाई भावना जी
कर्म हीन नर पावत नाही...
विजयी भव !
जिसमें बहता था
अथाह प्यार का सागर...
जो टिका था
सच्चे सपनों की बुनियाद पर...
और जिसमें
भावों की पवित्र गंगा में
तैरती थी
समर्पण की नाव...
और उस नाव का खिवैया था
सच्चा और पवित्र प्यार...
Behtareen rachana!
बहुत खूबसूरत भाव ..समर्पण की नाव तो पार लगा ही देगी ..
bahut he sunder kavita likhi hai bhawna ji aapne, sabdo ka jo itna suder tana bana buna hai vo vakai koi aapse sikhe. likhtey rahiye . congrates.
बहुत ही खूबसूरत कविता।
सादर
sundar rachna...
सच्चे सपनों की बुनियाद..
यही बहुत ज़रूरी है किसी भी सृजन के लिए...आपके ब्लॉग पर आ कर बहुत अच्छा लगा..सभी रचनाएँ एक से बढ़ कर एक है..सार्थक लेखन के बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें..
Harek lafz chuninda! Kamaal kee rachana ban padee hai!
बहुत खुबसूरत रचना...
सादर बधाई
har koi karta hai aisa prayas lekin safalta kahan milti hai.
badhayi aapko gar apko safalta mili.
sunder rachna.
बहुत ही खुबसूरत और भावपूर्ण अभिवयक्ति.....
पावन निर्मल भावना की बहुत ही खूबसूरत एवं कोमल अभिव्यक्ति है ! बहुत ही सुन्दर रचना !
समर्पण की नाव...
और उस नाव का खिवैया था
सच्चा और पवित्र प्यार...
भावना जी ,समर्पण और सच्चा प्यार जहां है वहां जीवन रूपी नाव पार लगा जाती है इसमे कोई शक नहीं है पर ये दोनों एक साथ मिलना असंभव् नहीं तो दुर्लभ अवश्य हैं .....बधाई भावपूर्ण रचना के लिए
डा. रमा द्विवेदी
और जिसमें
भावों की पवित्र गंगा में
तैरती थी
समर्पण की नाव...
और उस नाव का खिवैया था
सच्चा और पवित्र प्यार...
bhini bhini si abhivyakti
rachana
बहुत उम्दा
भावना जी,
आपकी रचना पढकर अच्छा लगा
भावपूर्ण सुंदर प्रस्तुति ....
बीते वक्त के लम्हों को सहेजना बहुत ही नाधुर लाता है ... गहरे भाव ..
शब्द दिल को छू गये।
एक टिप्पणी भेजें