16 नवंबर 2011

सपनों का रंगीन धागा...













बीते वक्त की चादर से
चुरा लिया मैंने एक
सपनों का रंगीन 
रेशमी धागा...
और फिर उससे
नये वक्त की पैबंद लगी,
बिखरी-छितरी,टूटी-फटी
चादर को
एक बार फिर से
करने लगी प्रयास
पुराने वक्त की चादर समान
बुनने का ...
जिसमें बहता था 
अथाह प्यार का सागर...
जो टिका था
सच्चे सपनों की बुनियाद पर...
और जिसमें
भावों की पवित्र गंगा में
तैरती थी
समर्पण की नाव...
और उस नाव का खिवैया था
सच्चा और पवित्र प्यार...


Bhawna

23 टिप्‍पणियां:

अनुपमा पाठक ने कहा…

समर्पण की नाव हो तो किनारे तक ले ही जायेगी!
सुंदर भाव!

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत उम्दा एवं भावपूर्ण...आनन्द आया रचना पढ़कर...बधाई.

सहज साहित्य ने कहा…

बहुत मार्मिक और हृदय की गहराइयों से निकली कविता है, जिसमे अतीत की मधुर स्मृतियों को लौटाने का प्रयास करना जीवन के लिए नई आशा जगाना है। इन पंक्तोयों ने गहर असर छोड़ा है-
जिसमें बहता था
अथाह प्यार का सागर...
जो टिका था
सच्चे सपनों की बुनियाद पर...
और जिसमें
भावों की पवित्र गंगा में
तैरती थी
समर्पण की नाव...
और उस नाव का खिवैया था
सच्चा और पवित्र प्यार...

Deepak Shukla ने कहा…

Hi..

Beete vakt ke sapno ko armanon sang piroya hai..
Kavita ko tumne meethe ahsaason sang sanjoya hai..
Beet gaya jo aayega na, guzra vakt kahan thahra..
Vartman ke sapnon par bhi, asar sada hi rahta gahra..

Sundar bhav..

Deepak..

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

सुन्दर कविता बधाई भावना जी

Bharat ने कहा…

कर्म हीन नर पावत नाही...
विजयी भव !

kshama ने कहा…

जिसमें बहता था
अथाह प्यार का सागर...
जो टिका था
सच्चे सपनों की बुनियाद पर...
और जिसमें
भावों की पवित्र गंगा में
तैरती थी
समर्पण की नाव...
और उस नाव का खिवैया था
सच्चा और पवित्र प्यार...
Behtareen rachana!

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत खूबसूरत भाव ..समर्पण की नाव तो पार लगा ही देगी ..

narendra purohit ने कहा…

bahut he sunder kavita likhi hai bhawna ji aapne, sabdo ka jo itna suder tana bana buna hai vo vakai koi aapse sikhe. likhtey rahiye . congrates.

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बहुत ही खूबसूरत कविता।

सादर

आशा बिष्ट ने कहा…

sundar rachna...

Akhil ने कहा…

सच्चे सपनों की बुनियाद..

यही बहुत ज़रूरी है किसी भी सृजन के लिए...आपके ब्लॉग पर आ कर बहुत अच्छा लगा..सभी रचनाएँ एक से बढ़ कर एक है..सार्थक लेखन के बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें..

shama ने कहा…

Harek lafz chuninda! Kamaal kee rachana ban padee hai!

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…

बहुत खुबसूरत रचना...

सादर बधाई

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

har koi karta hai aisa prayas lekin safalta kahan milti hai.

badhayi aapko gar apko safalta mili.

sunder rachna.

विभूति" ने कहा…

बहुत ही खुबसूरत और भावपूर्ण अभिवयक्ति.....

Sadhana Vaid ने कहा…

पावन निर्मल भावना की बहुत ही खूबसूरत एवं कोमल अभिव्यक्ति है ! बहुत ही सुन्दर रचना !

ramadwivedi ने कहा…

समर्पण की नाव...
और उस नाव का खिवैया था
सच्चा और पवित्र प्यार...


भावना जी ,समर्पण और सच्चा प्यार जहां है वहां जीवन रूपी नाव पार लगा जाती है इसमे कोई शक नहीं है पर ये दोनों एक साथ मिलना असंभव् नहीं तो दुर्लभ अवश्य हैं .....बधाई भावपूर्ण रचना के लिए

डा. रमा द्विवेदी

मेरा साहित्य ने कहा…

और जिसमें
भावों की पवित्र गंगा में
तैरती थी
समर्पण की नाव...
और उस नाव का खिवैया था
सच्चा और पवित्र प्यार...
bhini bhini si abhivyakti
rachana

Unknown ने कहा…

बहुत उम्दा

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

भावना जी,
आपकी रचना पढकर अच्छा लगा
भावपूर्ण सुंदर प्रस्तुति ....

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बीते वक्त के लम्हों को सहेजना बहुत ही नाधुर लाता है ... गहरे भाव ..

SANDEEP PANWAR ने कहा…

शब्द दिल को छू गये।