अभी भरे भी नहीं थे
पुराने जख़्म...
कि नयों ने बना लिया रस्ता
हम सोचकर यही
छिपाते रहे उनको
कि सह लेंगे चुपचाप...
रातभर
सिसकियों को दबाकर
जख़्मों को
मरहम लगाने का
उपाय करते रहे
न जाने कब
एक सिसकी
बाहर तक जा पहुँची
और फिर
जो तूफ़ान आया
उसका अंदाज भी नहीं था
मिट गए सभी जख्म
और बन्द हो गईं सिसकियाँ
सदा के लिए
कभी-कभी एक साया सा
दिखता है कमरे की खिड़की से
पर अन्दर देखो तो
अंधकार के सिवा कुछ नहीं
एक धुँआ उठता है
अमावस की रात में
पर दरवाजा खोलो तो कुछ नहीं
लोग कहते हैं कि
यहाँ भटकती है
रूह किसी की...
आवाज़ आती है
उसकी कराहट की...
पर अब
सिसकियाँ नहीं आती ...
Bhawna
15 टिप्पणियां:
दर्द की बहुत ही गहन अभिव्यक्ति है । लगता है् जैसे दर्द शरीर धारण करके मानस पटल पर उतर आया हो । झकझोर देने वाली मार्मिक कविता !
गहरा दर्द...मार्मिक....
दर्द उकेर कर रख दिया...
लोग कहते हैं कि
यहाँ भटकती है
रूह किसी की...
आवाज़ आती है
उसकी कराहट की...
पर अब
सिसकियाँ नहीं आती ...
दर्द को बहुत रहस्यमय ढंग से अभिव्यक्त किया है आपने.सुन्दर मार्मिक प्रस्तुति के लिए आभार.
मेरे ब्लॉग पर आपका इंतजार है,भावना जी.
भावना जी..
कविता में जो दर्द बताया...
हमने भी महसूस किया...
दर्द बिना क्या रहा है कोई...
जिसने न है इसे जिया...
दर्द की इन्तेहा..
दर्द का फसाना...
कविता में दर्द..
दर्द की कविता...
सुंदर भावाभिव्यक्ती...
दीपक शुक्ल...
ज़िन्दगी की संवेदना को बड़ी ही खूबसूरती से कविता में पिरोया है !
आभार !
दर्द से परिपूर्ण रचना ..मार्मिक!!
dard ka itna gahra aur sunder chitran
kamal bahut abhut badhai
rachana
गहन अभिव्यक्ति
darad hi behtreen abhivaykti...
वाह ! क्या बात है! बेहद प्रभावशाली रचना!
dard shabd ban kar dil main utar aya .........har shabd main kitna dard.......
Bhawna ji in dard bhare bhavon ko sametkar jo kavita likhi hai ........uske leye aap bdhai ki patar hain .
hardeep
इस पोस्ट के लिए धन्यवाद । मरे नए पोस्ट :साहिर लुधियानवी" पर आपका इंतजार रहेगा ।
बेहद उदास करती एक रचना .बेहद उदास करती एक रचना .लाश को धोती एक ज़िन्दगी एक और लाश .
bahut sundar abhivykti badhai.
Dard kya hota hai eska abhas kavita padh kr hi ho jata hai ... badhai bhawana ji
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