आज नारी पर ये आख़िरी दोहा प्रेषित कर रही हूँ कोशिश रही कि जब तक नवरात्र चलें एक दोहा पोस्ट करूँ..कल से कुछ ओर..तब तक इसको पढ़िये
काँधे से काँधे मिला, चले पुरुष के साथ।
हो कैसा भी काम ये, खाएँगी ना मात।।
© डॉ० भावना कुँअर
Editor
संपादिका-ऑस्ट्रेलियांचल ई-पत्रिका
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