21 अक्तूबर 2021

ग़ज़ल का एक शेर/पंछी

ये खूबसूरत पुष्प मेरे गमले में रंग बदल बदल कर खिलता है और ये खूबसूरत तोता रोज़ मुझसे मिलने आता है ऐसा एक नहीं कितने ही रोज आते हैं और मेरे सेव खिला देने के बाद लौट जाते हैं। कितनी ही वीडियो और फ़ोटो हैं जिनमें वो मेरे हाथ से खा रहे हैं..
मैंने उन लोगों को धिक्कारते हुए एक शेर लिखा था जो इन बेज़ुबान पंछियों को निशाना बनाते हैं आप भी पढ़िए👇
उड़ते पंछी पर निशाने जो लगाते शौक में
उनके मन में भी तो ममता थोड़ी पलनी चाहिए
© डॉ० भावना कुँअर
Editor👇














डॉ०भावना कुँअर
संपादिका-ऑस्ट्रेलियांचल ई-पत्रिका

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