गाये मधुर गीत
नये साल के।
करें स्वागत
खुशियाँ ले के हम
नव-वर्ष का।
ये नव-वर्ष
प्रेम संदेश लिये
खड़ा द्वार पे।
डॉ० भावना कुँअर
करें स्वागत
खुशियाँ ले के हम
नव-वर्ष का।
ये नव-वर्ष
प्रेम संदेश लिये
खड़ा द्वार पे।
डॉ० भावना कुँअर
कभी मुझपे है प्यार आता कभी मुझसे शिकायत है,
न जाने प्यार करने की खुदा कैसी रिवायत है।
कभी मैं डूबता हूँ प्यार की गहराईयों तक भी,
मगर पाता तुझे ही हूँ वहाँ, कैसी कयामत है।
कोई भटका हो सहरा में और उसको झील मिल जाए,
तुझे पाकर लगा ऐसा, मिली ऐसी नियामत है।
मैं तुझको देखता था, सोचता था, बात करता था,
बडी मुश्किल से ये जाना, मुझे तुमसे मुहब्बत है।
दिलों की दफन है जिसमें मुहब्बत आज तक जिन्दा,
उसे हम ताज कहते है वो इक ऐसी इमारत है।
प्रगीत कुँअर