न मेंहदी सजी
न डोली उठी
न फेरे ही कर पाए
पर देखो आज …
उठा जो जनाजा मेरा
खामोश पलकों में
तेरी ही तस्वीर
लबों में तेरा नाम
जाने क्यूँ
रह-रह कर आए...
न डोली उठी
न फेरे ही कर पाए
पर देखो आज …
उठा जो जनाजा मेरा
खामोश पलकों में
तेरी ही तस्वीर
लबों में तेरा नाम
जाने क्यूँ
रह-रह कर आए...
© डॉ० भावना कुँअर
Editor
डॉ०भावना कुँअर
संपादिका-ऑस्ट्रेलियांचल ई-पत्रिका