पुराने दिन
थे घमंड से चूर
लो बीत चले।
लो बीत चला
एक और सफ़र
नयी तलाश।
डाकिया लाया
खुशियों की चिट्ठियॉ
नये साल में.।
नये साल की
बगिया में खिलेंगे
सुखों के फूल ।
लो चल पड़े
नया साल खोजने
बर्फीले दिन।
आतंकित सा
पग-पग बढाये
ये वर्ष आये।
उज़ाडे घर
काहे का नया साल
आतंकियों ने।
आओ लें प्रण
न हो कोई गुनाह
इस वर्ष में।
डॉ० भावना