सभी लोग होली की तैयारी में लगे हैं तो चलिए हम भी अपनी २ रचनाएँ आपके साथ बाँटना चाहेगें जो काफी समय पहले होली पर लिखी थी।
आप सबको होली की हार्दिक शुभकामनाएँ...
1- आई रे! आई रे! होली
ढोल, मंजीरे बज रहे हैं
घर रंगों से सज रहे हैं
धूम मची है गली-गली
सबको ही आह्लाद किए
घर रंगों से सज रहे हैं
धूम मची है गली-गली
सबको ही आह्लाद किए
आई रे! आई रे! होली
सपनों का संसार लिए
सपनों का संसार लिए
आज ना कोई रुसवा होगा
और ना कोई शिकवा होगा
रिश्तों की मृदु भांग पिए
मानवता का हार लिए
और ना कोई शिकवा होगा
रिश्तों की मृदु भांग पिए
मानवता का हार लिए
आई रे! आई रे! होली
सपनों का संसार लिए
सपनों का संसार लिए
2- संदेशा
आज बहारें झूम-झूम गा रही हैं।
अपने करों से दिशाओं को सजा रही हैं।
कल-कल करती झरनों की आवाज़ें
एक मधुर संगीत गुनगुना रहीं हैं।
अपने करों से दिशाओं को सजा रही हैं।
कल-कल करती झरनों की आवाज़ें
एक मधुर संगीत गुनगुना रहीं हैं।
झिलमिल करती तारों की बारात
देकर निमंत्रण तुम्हें बुला रहीं हैं।
दे रहें हैं सभी खुशियों का संदेशा
पलकें भी मधुर सपने सजा रहीं हैं।
देकर निमंत्रण तुम्हें बुला रहीं हैं।
दे रहें हैं सभी खुशियों का संदेशा
पलकें भी मधुर सपने सजा रहीं हैं।
अब होली का है आगमन
सभी ये संदेशा ला रही हैं।
सभी ये संदेशा ला रही हैं।
Bhawna