26 अक्तूबर 2010

आँखे















आँखे जाने क्यों


भूल गई पलकों को झपकना...

क्यों पसंद आने लगा इनको

आँखों में जीते-जागते

सपनों के साथ खिलवाड़ करना …

क्यों नहीं हो जाती बंद

सदा के लिए

ताकि ना पड़े इन्हें किसी

असम्भव को रोकना ।


Bhawna

14 अक्तूबर 2010

मेरा दर्द कुछ इस तरह भी...
















आँखों के नीचे

दो काले स्याह धब्बे ...

आकर ठहर गए

और नाम ही नहीं लेते जाने का...

न जाने क्यों उनको

पसंद आया ये अकेलापन।





Bhawna

7 अक्तूबर 2010

नहीं रही अब हिन्दी दूर ऑस्ट्रेलिया से...

ऑस्ट्रेलिया-"सिडनी" की बहुचर्चित प्रथम ऑनलाईन हिन्दी पत्रिका "हिन्दी गौरव" का अब प्रकाशन भी मासिक पत्रिका के रूप में प्रारम्भ हो गया है, जिसके प्रथम प्रकाशित संस्करण का विमोचन २ अक्तूबर को सिडनी में बहुत धूमधाम के साथ मनाया गया।
जिसके मुख्य संपादक अनुज कुलश्रेष्ठ जी ने संपादन समिति में मुझे और रामेश्वर काम्बोज जी को भी सम्मिलित किया है। इस पत्रिका के प्रथम संस्करण में मेरी दो रचनाएं और गॉधी जी पर लेख प्रकाशित हुए हैं।

साथ ही सिडनी में एक कवि सम्मेलन का आयोजन भी ११ सितम्बर २०१० को किया गया जिसमें मुझे भी कविता पाठ करने का अवसर प्राप्त हुआ।

प्रस्तुत हैं "हिन्दी गौरव" पत्रिका में प्रकाशित उस कवि सम्मेलन पर समाचार और मेरी रचनाएं-