जलेगा दिल
फिर दीवाली पर
माटी से दूर।
देकर साँसें
करे जग रोशन
दीया बेचारा।
दीप सजाएँ
स्नेह और प्रेम के
दीपावली में।
नेह चिराग
जलाकर रखना
घर-घर में।
जल उठेंगे
निर्दोष शलभ भी
इन दीपों से।
चीरता गया
अँधियारे का सीना
पावन दीया।
सच्ची दीवाली
जो पोंछ डाले आँसू
गरीबी के भी।
आँख के आँसू ,
उदर की आग को
डस लें दीये।