आज मेरी माँ का जन्मदिन है।मैंने एक रचना उनके लिए लिखी है जो आप सबके साथ बाँट रही हूँ। रोजी रोटी के लिए अपने वतन से दूर हूँ जन्मदिन पर जा भी नहीं सकती चैट कर सकती हूँ, फोन कर सकती हूँ और वैब कैम पर देख सकती हूँ, पर इतने सब से मन कहाँ मानता है क्योंकि माँ से बढकर इस दुनिया में है ही क्या माँ तो सबको ही प्यारी होती है...
माँ मुझे भी प्यारी है, माँ तुम्हें भी प्यारी है
माँ इस दुनिया में, सबसे ही न्यारी है।
बचपन में ऊँगली पकडकर,चलना सिखाया था हमको
आज उन हाथों को, थामने की बारी हमारी है।
माँ मुझे भी प्यारी है, माँ तुम्हें भी प्यारी है
माँ इस दुनिया में, सबसे ही न्यारी है।
जो अनेक प्रयत्नों के बाद, खिला पाती थी रोटी के टुकडे
अब थके हुए उन हाथों को, ताकत देने की बारी हमारी है।
माँ मुझे भी प्यारी है, माँ तुम्हें भी प्यारी है
माँ इस दुनिया में, सबसे ही न्यारी है।
कदम से कदम मिलाकर, चलना सिखाया था जिसने
उन लडखडाते कदमों को, सहारा देने की बारी हमारी है।
माँ मुझे भी प्यारी है, माँ तुम्हें भी प्यारी है
माँ इस दुनिया में, सबसे ही न्यारी है।
रातभर जागकर भी, हमें मीठी नींद सुलाया था जिसने
उन खुली आँखों की, थकन मिटाने की बारी हमारी है।
माँ मुझे भी प्यारी है, माँ तुम्हें भी प्यारी है
माँ इस दुनिया में, सबसे ही न्यारी है।
डॉ० भावना