1.
दुनिया इक मेला है
पर इस मेले में
हर शख़्स अकेला है
2.
हर शख़्स खिलौना है
इक दिन टूटेगा
ऊँचा या बौना है
3
डरना क्या पहरों से
मन मजबूत करो
लड़ जाओ लहरों से
4
चहकी अब भोर नहीं
ताल पड़े सूखे
पंछी का शोर नहीं
5
बोलो कब आओगे ?
उखड़ रही साँसें
सूरत दिखलाओगे ?
6.
रिश्तों में दूरी है
टूटे ना ये घर
सहना मजबूरी है
7.
तेरी याद चली आयी
बदली सी बनकर
वो आँख में है छायी
8.
खुश थे दोनों भाई
किसने खोदी है
उन रिश्तों में खाई
9.
बातें जब करते हो
अमृत के घट तुम
लगता है भरते हो
10.
काँटे से चुभते हैं
दिल को चीर रहे
अपने जो रिश्ते हैं
11.
हमसे जब लोग जले
जाना जब हमने
उनसे हम दूर चले
12.
दुनिया ग़म देती है
पर माँ की ममता
सब ग़म हर लेती है
13.
आँखें छम-छम बरसें
साथ नहीं साजन
कैसे फिर मन हरसे
14.
सच हो गये तब सपने
जब रूठे साजन
लौट आये घर अपने
15.
तुम फूल सा खिल जाओ
हर घर-आँगन को
ख़ुशबू सा महकाओ
16.
होता ये क्यूँ जाने
चढ़ते रहते हैं
सूली पे दीवाने
17.
ये साँझ की बेला है
नभ में देखो तो
पंछी का रेला है
18.
मिलने की रुत आई
आँसू की बरखा
रोके ना रुक पाई
19.
दुःख में भी जी लेंगे
तू जो साथ रहा
संग आँसू पी लेंगे
20.
कैसा ये सपना था
झूठे वादों से
टूटा दिल अपना था
-/-/
डॉ०भावना कुँअर
संपादिका-ऑस्ट्रेलियांचल ई-पत्रिका