16 जुलाई 2018

चोका/नया सवार





मझदार में
एक नाव थी फँसी
सवार आया
देख वो घबराया
नाव को लेके
था किनारे लगाया ।
बना गहरा
मधुर,विलक्षण
प्यारा सा रिश्ता ।
कितने सफ़र थे
संग में किए
वो सपने सारे ही
साकार हुए ।
काँटों की राह चले
पीछे ना हटे ।
छूट गए सारे ही
सगे संबंधी ।
मासूम वो सवार
बड़ा नादान
छल-कपट भरी,
बेदर्द इस
दुनिया से अन्ज़ान ।
बाज़ सा आया
इक नया सवार
उसे कहाँ था
भला इसका ज्ञान।
ले गया नाव
वो दूर देश कहीं
दोनों हैं खुश
तिल-तिल मरता
आँसू है पीता
पर चुप रहता
कभी झील को
मझदार को कभी
यूँ अपलक
निहरता रहता
वो पुराना सवार।


Dr.Bhawna Kunwar